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Will Rahul Get Reprive: जन प्रतिनिधित्व कानून की जिस धारा में गई राहुल गांधी की सांसदी, उसे असंवैधानिक बताकर दी गई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में इस कानून की धारा 8 के भाग 4 को रद्द कर दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2 साल या ज्यादा की सजा सुनाए जाते ही जन प्रतिनिधि की सदस्यता रद्द मानी जाएगी। तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने अध्यादेश लाकर 2 साल की सजा को 5 साल करने की कोशिश की, लेकिन तब राहुल गांधी ने ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस अध्यादेश को फाड़कर कूड़े में फेंकने वाला बताया था।
नई दिल्ली। राहुल गांधी को मानहानि मामले में सूरत के कोर्ट से हुई 2 साल की सजा और उसके बाद उनकी संसद सदस्यता खत्म होने का मुद्दा गरमाया हुआ है। कांग्रेस इस मुद्दे को उछालकर मोदी सरकार पर हमलावर है। वहीं, बीजेपी कह रही है कि राहुल गांधी ने ओबीसी समुदाय का अपमान किया। इन सबके बीच, जन प्रतिनिधित्व कानून की उस धारा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल हुई है, जिसकी वजह से राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द हो गई। जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 के भाग 3 के तहत राहुल गांधी शुक्रवार को सांसदी के अयोग्य घोषित हुए थे।
सामाजिक कार्यकर्ता आभा मुरलीधरन ने सुप्रीम कोर्ट में जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 के भाग 3 को असंवैधानिक घोषित करने की अपील की है। मुरलीधरन ने अपनी अर्जी में लिखा है कि जनता के चुने प्रतिनिधि को सजा होने पर उनकी संसद, विधानसभा वगैरा की सदस्यता खत्म होना असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में इस कानून की धारा 8 के भाग 4 को रद्द कर दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2 साल या ज्यादा की सजा सुनाए जाते ही जन प्रतिनिधि की सदस्यता रद्द मानी जाएगी। तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने अध्यादेश लाकर 2 साल की सजा को 5 साल करने की कोशिश की, लेकिन तब राहुल गांधी ने ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस अध्यादेश को फाड़कर कूड़े में फेंकने वाला बताया था। राहुल गांधी का उस वक्त कहना था कि सजा पर सांसदी या विधायकी जाने की 2 साल की समयसीमा सही है।
आज राहुल गांधी खुद इस कानून के दायरे में आ गए हैं। इससे पहले आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, लालू यादव, जयललिता और बीजेपी के भी दो नेता इस कानून के तहत अपनी सदस्यता खो चुके हैं। अब देखना ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट आभा मुरलीधरन की अर्जी पर सुनवाई कर 2013 का अपना फैसला बदलता है या उसे सही ठहराता है।