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‘नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहराना सही…!’, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ उतरे 15 पूर्व जज और 77 अधिकारी, लिखा खुला पत्र

Nupur Sharma: पूर्व न्यायाधीशों और प्रशासनिक अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि, ‘किसी भी देश का लोकतंत्र तब तक सुचारु रूप से संचालित नहीं हो सकता है, जब तक कि उस देश के सभी संस्थान संविधान के अनरूप अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं। बयान में कहा गया है कि विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट के दोनों ही न्यायाधीशों जस्टिस सूर्यकांत और पाडरीवाला ने न्यायपालिका के लिए निर्धारित की गई लक्ष्मण रेखा का अतिक्रमण कर हमें मजबूर किया कि हम इस तरह का निंदात्मक बयान जारी करें।

नई दिल्ली। नूपुर शर्मा के बयान को लेकर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब नूपुर के बयान को लेकर देश में स्थिति हिंसात्मक हो चुकी है। हालात इस कदर संजीदा हो चुके हैं कि नूपुर के बयान का समर्थन करने पर लोगों को जान से मारने तक की धमकियां दी जा रही हैं। एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में लोगों को नूपुर के बयान का समर्थन करने पर जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। इतना ही नहीं, उदयपुर और अमरावती में तो नूपुर के बयान का समर्थन करने पर बर्बर हत्याकांड को भी अंजाम दिया गया है। अब ऐसी स्थिति में यह पूरा मसला आगे चलकर क्या कुछ रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन शायद आपको पता हो कि बीते दिनों नूपुर शर्मा के बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में जिस तरह बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता पर तल्ख टिप्पणी की थी, उसका देश के एक बड़े वर्ग ने विरोध किया था। बता दें कि कोर्ट ने अपनी सुनवाई में नूपुर को दोषी ठहराते हुए कहा था कि आज देश आपकी वजह से जल रहा है। आपको टीवी पर इस तरह के जहरीले बयान देने से गुरेज करना चाहिए। इतना ही नहीं, कोर्ट ने नूपुर शर्मा से टीवी पर पूरे देश से माफी मांगने की भी हिदायत दी थी। हालांकि, अब कोर्ट की इस टिप्पणी का किसी ने विरोध किया, तो किसी ने समर्थन, लेकिन अब इसी बीच खबर है कि देश के 15 पूर्व न्यायाधीशों और 77 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने नूपुर के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी की सार्वजनिक रूप से भत्सर्ना की है। जिसमें कई न्यायिक अधिकारी भी शामिल हैं। आइए, आपको आगे बताते हैं कि आखिर सार्वजनिक रूप से सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर विरोध जताते हुए क्या कुछ कहा गया है।

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जानें, कोर्ट ने क्या कहा?

आपको बता दें कि पूर्व न्यायाधीशों और प्रशासनिक अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि, ‘किसी भी देश का लोकतंत्र तब तक सुचारु रूप से संचालित नहीं हो सकता है, जब तक कि उस देश के सभी संस्थान संविधान के अनरूप अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं। बयान में कहा गया है कि विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट के दोनों ही न्यायाधीशों जस्टिस सूर्यकांत और पाडरीवाला ने न्यायपालिका के लिए निर्धारित की गई लक्ष्मण रेखा का अतिक्रमण कर हमें मजबूर किया कि हम इस तरह का निंदात्मक बयान जारी करें। इतना ही नहीं, दोनों ही जजों की टिप्पणियों ने देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी लोगों को सदमा पहुंचाया है। बयान में इस बात को लेकर हैरानी जताई गई है कि संयुक्त रूप से इस बयान को टीवी में प्रसारित किया जा रहा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। इतना ही नहीं, ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने बिना कारण बताए सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया।

जिस तरह से कोर्ट ने देश में जारी हिंसात्मक स्थिति के लिए सिर्फ और सिर्फ नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहराया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। बहरहाल, बतौर पाठक आपका इस पूरे मसले पर क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा। लेकिन, आइए उससे पहले हम आपको पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं।

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जानें पूरा माजरा

दरअसल, बीते दिनों ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर होने वाली डिबेट में बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद के संदर्भ में विवादास्पद टिप्पणी कर दी थी, जिसे लेकर पूरे देश में नूपुर का विरोध किया गया था और स्थिति भी हिंसात्मक हो चुकी थी, लेकिन जिस तरह से महज नूपुर का समर्थन करने पर लोगों को जान से मारने की धमकी दी जा रही हैं, वह यकीनन अपने आप में चिंता का विषय है। बहरहाल, अब ऐसी स्थिति में यह पूरा माजरा क्या कुछ रुख अख्तियार करता है। इस पर तो सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। लेकिन, तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम