
नई दिल्ली। बिहार में नीतीश कुमार एनडीए को गच्चा देने के बाद राजद संग अपनी सरकार बना चुके हैं। बीजेपी अब उन पर निशाना साधने में मशगूल हो चुकी है। कोई दो मत नहीं यह कहने में कि अब बीजेपी उनकी हर गतिविधियों को आलोचनात्मक चश्मे से देखेगी और उन्हें निशाने पर लेने की भरपूर कोशिश करेगी, जो कि कर भी रही है। बहरहाल, नीतीश कुमार के महागठबंधन में यूटर्न लेने के बाद अब लोगों के जेहन में यह जानने की आतुरता अपने चरम पर पहुंच चुकी है कि आखिर अब नीतीश कैबिनेट का स्वरूप कैसा होगा। हालांकि, महागठबंधन के घटक दल नीतीश कुमार के समक्ष अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से लेकर कांग्रेस तक नीतीश कुमार के समक्ष कैबिनेट में अपनी हिस्सेदारी की इच्छा जाहिर कर चुका है, लेकिन अब यहां सवाल यह है कि आखिर वे इसमें तालमेल कैसे बठाएंगे। कोई दो मत नहीं यह कहने में कि बिहार कैबिनेट में राजद और जदयू का दबदबा अपने चरम पर दिखेगा। बहरहाल, अभी बिहार कैबिनेट को लेकर एक बड़ी खबर प्रकाश में आई है। आइए, आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
खबर यह है कि बिहार कैबिनेट का स्वरूप लगभग-लगभग फाइनल हो चुका है। आरजेडी समेत पांच दलों से 17 मंत्री बनाए जाने का फैसला किया गया है। जेडीयू और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा से 14 नेताओं को मंत्री पद दिए जाएंगे। राजद से 13 से 14 मंत्री बनाए जा सकते हैं। उधर, कांग्रेस की बात करें, तो पार्टी से दो से तीन नेताओं को मंत्री पद दिया जा सकता है। जेडीयू से 12 नेताओं को मंत्री पद दिया जा सकता है। उधर, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से संतोष सूमन को मंत्री पद दिया जा सकता है। जेडीयू से उपेंद्र कुशावाह को मंत्री बनाया जा सकता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नीतीश कुमार ने कैबिनेट का गठन करने के दौरान जातिय समीकरणों का विशेष ध्यान रखा है। हालांकि, नीतीश कुमार की ओर से महागठबंधन घटक दलों में शामिल सभी दलों के हितों का ध्यान रखा गया है, ताकि किसी के हितों पर कुठाराघात ना हो। बहरहाल, अब आगामी दिनों में बिहार की राजनीति में कैबिनेट को लेकर क्या कुछ स्थिति देखने को मिलती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
क्यों छोड़ा एनडीए का साथ?
उधर, बीते दिनों जिस तरह से नीतीश कुमार ने बीते दिनों एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ आने का फैसला किया है, उसे लेकर अब विभिन्न पहलू निकलकर सामने आ रहे हैं। जहां कुछ लोगों का कहना है कि केंद्रीय कैबिनटे में जदयू को मनमाफिक हिस्सेदारी नहीं मिल पाई। तो कुछ लोगों का कहना है कि उनके राष्ट्रपति बनने के अरमानों पर पानी फेर दिया गया। तो वहीं किसी का कहना है कि बीजेपी द्वारा जदयू को खत्म करने की साजिश रची जा रही थी , जिसे भांपते हुए नीतीश कुमार ने समय रहते ही महागठबंधन का दामन थाम लिया। बहरहाल वजह जो भी रही हो, लेकिन इस पूरे विवाद के बाद अब बीजेपी नीतीश कुमार पर हमलावर हो चुके हैं। अब ऐसे में आगामी दिनों में बिहाक की राजनीति क्या रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम