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Union Budget 2023: इस बार निर्मला सीतारमण के बजट के वो खास बिंदु, जिनपर आम लोगों से लेकर अर्थशास्त्रियों तक रहेगी नजर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी पूरा बजट पेश करने वाली हैं। बतौर वित्त मंत्री वो अपना 5वां बजट पेश करेंगी। इस बजट में वैसे तो 14 अलग-अलग डॉक्युमेंट होंगे और इनमें आय और खर्च का ब्योरा होगा, लेकिन कुछ बिंदु ऐसे हैं, जिनकी वजह से आम लोगों से लेकर अर्थशास्त्री तक बजट भाषण पर गौर जरूर करेंगे।

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी पूरा बजट पेश करने वाली हैं। बतौर वित्त मंत्री वो अपना 5वां बजट पेश करेंगी। इस बजट में वैसे तो 14 अलग-अलग डॉक्युमेंट होंगे और इनमें आय और खर्च का ब्योरा होगा, लेकिन कुछ बिंदु ऐसे हैं, जिनकी वजह से आम लोगों से लेकर अर्थशास्त्री तक बजट भाषण पर गौर जरूर करेंगे। आम आदमी जहां बजट में खुद को होने वाले फायदे और नुकसान का आकलन करेगा। वहीं, अर्थशास्त्री ये देखेंगे कि निर्मला सीतारमण का बजट भारत को किस दिशा में ले जा रहा है। वो भी उस वक्त, जबकि रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है और दुनियाभर में महंगाई का आंकड़ा चरम पर पहुंचा हुआ है।

indian rupee

आम लोगों की बात करें, तो सबसे अहम इनकम टैक्स होता है। आम लोग और खासकर नौकरीपेशा वर्ग की नजर वित्त मंत्री के बजट भाषण के दूसरे हिस्से पर रहती है। इसी दूसरे हिस्से में इनकम टैक्स के बारे में वित्त मंत्री एलान करते हैं। पिछले दो साल से इनकम टैक्स की दरों में बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि, 5 लाख तक की आय बचत के साथ टैक्स फ्री जरूर हो गई है। इस बार निर्मला सीतारमण अपने बजट में आम लोगों और खासकर नौकरीपेशा वर्ग को इनकम टैक्स में क्या राहत देती हैं, इसपर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। इसके अलावा महंगाई को थामने के लिए वो क्या कदम उठाती हैं, इस पर भी आम से लेकर खास तक जरूर नजर बनाए रखेंगे। अब बात करें देश की माली हालत से जुड़े बजट प्रावधानों के बारे में। इनमें सबसे अहम वित्तीय घाटा होता है। इसी के आधार पर नीतियां बनती हैं। वित्तीय घाटे की दर से पता चलता है कि सरकार का खजाना कितना मजबूत है। साल 2022 के अप्रैल से नवंबर तक वित्तीय घाटा 9.78 लाख करोड़ रहा है। जो पूरे वित्तीय वर्ष के लक्ष्य का 58.9 फीसदी है। इससे पहले साल यानी 2021-22 में वित्तीय घाटा 46.2 फीसदी रहा था। यानी इस बार वित्तीय घाटा बढ़ा है। इसे 2023-24 में कम रखना ही वित्त मंत्री सीतारमण का लक्ष्य होगा।

Ration

खजाने में पैसे की कमी और गरीबों को अन्न योजना, खाद पर सब्सिडी और किसान सम्मान निधि समेत कई अहम योजनाएं मोदी सरकार चला रही है। इसके लिए भी धन की जरूरत है। धन जुटाने के लिए सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में देने की कोशिशें भी सरकार करती रही है। साल 2022-23 में सरकार ने सरकारी कंपनियों को बेचकर यानी विनिवेश कर 65000 करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा था। इसमें से अब तक सरकार करीब 31000 करोड़ ही जुटा सकी है। साल 2021-22 में वित्त मंत्री ने विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ हासिल करने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन बाद में इसे 78000 करोड़ किया गया और मिले सिर्फ 13500 करोड़ से कुछ ज्यादा। इस बार सरकार विनिवेश का कितना लक्ष्य रखती है और सही में कितना जुटा पाती है, इस पर भी अर्थशास्त्रियों की नजरें जरूर रहेंगी।