नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है। इसके लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। भाजपा और टीएमसी इस चुनाव में आमने-सामने नजर आ रही है। इस सब के बीच पार्टियों में भगदड़ की स्थिति बनी हुई है। नेता इस सियासी संग्राम में जिधर देखो अपनी पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी का दामन धड़ाधड़ थाम रहे हैं। लेकिन इस सब के बीच सियासी बयानबाजी भी चरम पर है। इस चुनाव से पहले ही वहां के राजनेता अपने बयानों से सारी मर्यादाएं तक पार कर चुके हैं। इस सब के बीच अब बंगाल की राजनीति भारतीय सेना के जवानों को भी निशाने पर ले रही है।
टीएमसी के नेताओं की तरफ से बीएसएफ को जवानों द्वारा मतदाताओं को धमकाने का आरोप लगाया गया है। सत्ताधारी पार्टी TMC के नेताओं ने निर्वाचन आयोग के सामने यह आरोप लगा दिया कि बीएसएफ के जवान राज्य के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को धमका रही है और एक विशेष राजनीतिक दल को मतदान करने के लिए कह रही है।
टीएमसी के नेताओं द्वारा निर्वाचन आयोग के सामने रखी गई इस बात पर बीएसएफ की तरफ से सीमा सुरक्षा बल ने इन सारे आरोपों का खंडन किया है। बीएसएफ की तरफ से इस मामले को लेकर बयान जारी किया गया और कहा गया कि पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे और निराधार हैं।
इस बयान में बीएसएफ की तरफ से आगे कहा गया है कि ‘बीएसएफ एक पेशेवर बॉर्डर गार्डिंग फोर्स है, जो पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ देश के अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करती है। हमने अवैध घुसपैठ और तस्करी पर सक्रिय रूप से जांच की है और ऐसी गतिविधियों में शामिल अपराधियों को पकड़ा है।’
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ दो दिवसीय दौरे पर यहा पहुंची है। यहीं चुनाव आयोग के सामने टीएमसी के नेताओं ने यह बात कही।