
नई दिल्ली। शिंदे गुट की शिवसेना की ओर से जारी किए गए विज्ञापन को लेकर महाराष्ट्र का सियासी पारा अपने चरम पर पहुंच चुका है। दरअसल, इस विज्ञापन में सीएम एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का सबसे लोकप्रिय नेता बताया गया है। विज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश के 26 फीसद लोग जहां शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, तो वहीं 23 फीसद लोग देवेंद्र फडणवीस को सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। इस तरह से शिवसेना की ओर से जारी किए गए विज्ञापन में दोनों नेताओं की तुलनात्मक छवि पेश की गई है, जिसे लेकर सूबे का सियासी पारा अपने चरम पर पहुंच चुका है। कहा जा रहा है कि इस विज्ञापन के सार्वजनिक होने के बाद अब दोनों के बीच विवाद है, लेकिन दोनों दलों के नुमाइंदों ने सामने आकर स्पष्ट कर दिया है कि कोई विवाद नहीं है।
सबकुछ बिल्कुल दुरूस्त है, लेकिन बेशक दोनों की ओर से सबकुछ ठीक होने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन यह दावे कितने सही साबित हो पाते हैं। यह तो चुनाव के बाद ही साफ हो पाएगा। बता दें कि अगले वर्ष प्रदश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि शिंदे गुट की शिवसेना और बीजेपी एक साथ गठबंधन की नौका पर सवार होकर चुनाव लड़ती है या बीजेपी अकेली ही चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाती है। यह देखना दिलचस्प रहेगा। वहीं, अब विज्ञापन पर जारी विवाद को लेकर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने ट्वीट कर तंज कसा है।
दरअसल, उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ‘यह विज्ञापन करोड़ों रुपए खर्च कर बनाया गया है। एकनाथ शिंदे शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को भूल चुके हैं शिवसेना ने फोड़ा अपना बुलबुला विज्ञापन में शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर ली गई थी। मोदी शाह से इतना डर?बाकी सर्वे.. फडणवीस आपका पसंदीदा विषय है’। निसंदेह आगामी दिनों में इस पूरे विवाद का सहारा लेकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना राजनीतिक मोर्चे पर भरपूर फायदा उठाएगी। वो भी ऐसे वक्त में जब अगले वर्ष प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं और इसके बाद लोकसभा के चुनाव भी होने हैं।
कोट्यावधी रुपये खर्च करून केलेली ही जाहिरातबाजी.या आनंदाच्या क्षणी मा.मू. एकनाथ शिंदे यांना शिवसेना प्रमुख बाळासाहेब ठाकरे यांचा नेमका विसर पडलाय..आम्हीच
शिवसेना हा त्यांचा फुगा फुटला. जाहिरातीत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे यांचा फोटो टाकायला यांची तंतरली.
मोदी शहांचे इतके… pic.twitter.com/owsumBeN12— Sanjay Raut (@rautsanjay61) June 13, 2023
ध्यान दें कि गत विधानसभा चुनाव शिवसेना और बीजेपी ने साथ मिलकर ही लड़ा था, लेकिन बाद में दोनों के बीच सीएम पद को लेकर पेंच फंस गया। दरअसल, शिवसेना जहां उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने की वकालत कर रही थी, तो वहीं बीजेपी देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही थी। दोनों ही अपनी-अपनी मांगों पर अड़े रहे। जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर कांग्रेस और राकांपा से गठबंधन कर लिया। इसके बाद जन्म हुआ महाविकास अघाड़ी सरकार का और उद्धव ठाकरे सीएम पद की कुर्सी पर विराजमान हुए, लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चला। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का बिगूल फूंक दिया। इस बगावत का नतीजा यह हुआ कि उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।