नई दिल्ली। चीन और भारत के बीच 1958 से ही सीमा का विवाद है। साल 2020 में गलवान घाटी की घटना के बाद से दोनों देशों के बीच ये तनाव चरम पर है। भारत और चीन के बीच सीमा की जगह 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी है। इसमें से 520 किलोमीटर लंबी एलएसी अरुणाचल प्रदेश में है। चीन हमेशा अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। वहीं, पूर्वी लद्दाख के अक्साई चिन इलाके पर उसने 1962 में भारत के साथ युद्ध के दौरान कब्जा जमा लिया था। चीन के साथ हालात कितने गंभीर हैं, ये पहली बार भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने बताया है। एक कार्यक्रम में एडमिरल आर. हरि कुमार ने साफ कहा कि वैसे तो चीन से संघर्ष का खतरा कम है, लेकिन युद्ध की आशंका से इनकार भी नहीं किया जा सकता।
एडमिरल हरि कुमार ने कहा कि चीन की नौसेना के तमाम जहाज पाकिस्तान और कई देशों के बंदरगाहों पर हैं और हमारी नौसेना इनपर कड़ी नजर रख रही है। उन्होंने बताया कि चीन के कुछ जहाज ओमान की खाड़ी के आसपास, तो कुछ हिंद महासागर के पूर्वी तरफ हैं। चीन के रिसर्च करने वाले जहाज और मछली मारने वाले जहाज भी भारत के पास समुद्र में दिखते रहते हैं। चीन अपना तीसरा विमानवाहक पोत भी बना रहा है। हालांकि, उसे अपनी नौसेना को उन्नत करने में कुछ वक्त लगेगा। नौसेना प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान की नौसेना भी तेजी से खुद का विस्तार कर रही है। नए युद्धपोत पाकिस्तान ले रहा है। उन्होंने कहा कि हम हिंद महासागर में नजर बनाए हुए हैं।
एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना लगातार इसपर नजर रखती है कि चीन की नौसेना आखिर इलाके में क्या कर रही है। भारत ने खतरे की आशंका के कारण टोही विमान, ड्रोन, जहाज और पनडुब्बियों की तैनाती भी कर रखी है। उन्होंने बताया कि चीन के रिसर्च जहाज इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलों को पकड़ सकते हैं। इनसे सूचना इकट्ठा कर सकते हैं। जब ये जहाज भारत के करीब रहते हैं, तो नौसेना भी इनको ट्रैक करती रहती है।