नई दिल्ली। हिंदू धर्म की तुलना कोरोना जैसी बीमारी से करने वाले डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर बयान दिया है। जिसमें उन्होंने चेन्नई में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि, ‘वो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का विरोध नहीं करते हैं। उन्हें इस बात की खुशी है कि अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन जिस तरह से बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, वो अनुचित था। हम इसका विरोध करते हैं और आगे भी करते रहेंगे’। इस दौरान उन्होंने अपनी पार्टी डीएमके की विचाराधारा को लेकर भी बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि, ‘डीएमके की राय बिल्कुल स्पष्ट है कि हम ना ही किसी धर्म का विरोध करेंगे और ना ही किसी धर्म का समर्थन, लेकिन जो गलत है, उसके विरोध में बोलते रहेंगे’।
इस बीच उदयनिधि ने 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान डीएमके के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि आज से कई साल पहले जब मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, तो उस वक्त हमारी पार्टी ने अपने आधिकारिक बयान में स्पष्ट कर दिया था कि हमें मंदिर निर्माण से कोई आपत्ति नहीं है। ना ही किसी प्रकार की समस्या है, लेकिन हम मस्जिद के ध्वस्तीकरण का विरोध करते थे, करते हैं और हमेशा करते रहेंगे। वहीं, हमारे कोषाध्यक्ष टी बालू ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि, ‘आध्यात्म का राजनीति से कोई सरोकार नहीं होना चाहिए।
बता दें कि उदयनिधि का उक्त बयान ऐसे वक्त में सामने आया है, जब आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होना है, जिसमें शामिल होने के बाबत केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए न्योता भेजा जा चुका है, जिसे कुछ लोग सहर्ष स्वीकार कर चुके हैं, तो वहीं कुछ इसे ठुकरा भी चुके हैं। बता दें कि बीते इंडिया गठबंधन ने भी इस न्योते को ठुकरा दिया था। जिस पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने कांग्रेस के इस रूख को मौसमी हिंदू की संज्ञा दी थी। हालांकि, बीते दिनों मणिपुर में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर कोई प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना चाहता है, तो वो सकता है।
हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन हमारी पार्टी द्वारा इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने की वजह यह है कि बीजेपी ने इसे राजनीतिक कार्यक्रम में तब्दील कर दिया है, वो भी ऐसे वक्त में जब कुछ माह बाद लोकसभा के चुनाव होने हैं। फिलहाल, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बयानबाजी का सिलसिला जारी है। अब यह सिलसिला कब तक जारी रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।