नई दिल्ली। देश के तीन बड़े हिंदी सूबों में मिली करारी शिकस्त के बाद अब इंडिया गठबंधन ने आगामी 6 दिसंबर को दिल्ली में बैठक आहूत की है, जिसमें सभी नेता शामिल होंगे। बैठक बुलाए जाने का फैसला चुनावी नतीजों के दिन ही हुआ था। जब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी भारी बहुमत की ओर से अग्रसर हो रही थी, जबकि कांग्रेस की दुर्गति कुल मिलाकर सभी राज्यों में हुई। हालांकि, पार्टी तेलंगाना में अपना किला बचाने में कामयाब रही है। बता दें कि तेलंगाना में कांग्रेस ने कुल 119 सीटों में से 64 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि बीआरएस ने 39 और बीजेपी महज 8 सीटों पर सिमटकर रह गई। इसके अलावा ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 7 सीटों पर जीत हासिल की है।
वहीं, तीनों राज्यों में मिली हार के बाद राहुल गांधी का ट्वीट भी सामने आया, जिसमें उन्होंने इस जनादेश को विनम्रतापूर्वक स्वीकार किए जाने की बात कही। उधर, इस जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीन दयाल मार्ग स्थित बीजेपी कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने कार्यकर्ताओं के विशाल सभा को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर जोरदार निशाना साधा और अपनी सरकार की उपलब्धियों से भी लोगों को अवगत कराया। वहीं, आज संसद के शीतकालीन सत्र में शिरकत करने से पहले प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि मेहरबानी करके आप लोग अपनी कुंठा को सदन में मत दिखाए। इसे जनता का आदेश मानकर सहर्ष स्वीकार कीजिए।
इसके साथ ही अब तीनों हिंदी सूबों में कांग्रेस को मिली हार पर असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया सामने आई है। जिसमें उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस चुनाव में बीजेपी ने प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि आगामी लोकसभा चुनाव की राह कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, तो ऐसे में इंडिया गठबंधन को नए सिरे से विचार विमर्श की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में भी हम लड़े थे, लेकिन यहां बीजेपी ने जीत हासिल की।
आपको बता दें कि तेलंगाना में ओवैसी ने सात सीटों पर जीत हासिल की है। उनके भाई अकबरद्दीन ओवैसी ने भी जीत हासिल की है, लेकिन यहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं, मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे रेवंत रेड्डी का नाम है। रेवंत रेड्डी तेलंगाना कांग्रेस के प्रदेश अध्य़क्ष हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत एबीवीपी से की थी। इसके बाद उन्होंने तेलुगु देशम पार्टी का दामन थाम लिया था, लेकिन जब वहां उनका मन नहीं लगा, तो वो कांग्रेस की नौका में सवार गए, जहां पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्य़क्ष की जिम्मेदारी सौंपी।