नई दिल्ली। आम आदमी की मौत पर सियासत किस तरह खेली जाती है, इसका नजारा साल 2008 में अहमदाबाद बम धमाकों के बाद मिला था। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे। अहमदाबाद में 21 जगह बम फटे थे और दर्जनों लोगों की जान गई थी। घटना में 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। अस्पताल घायलों से भरे थे। मॉर्चुरी में लाशें रखने की जगह कम पड़ गई थी, लेकिन मोदी विरोधी विपक्षी नेताओं को इसमें भी संघ और बीजेपी की साजिश नजर आ रही थी। अहमदाबाद बम धमाके में 38 लोगों को फांसी और 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद मोदी विरोध के नाम पर विपक्ष का गंदा इतिहास एक बार फिर जेहन में ताजा हो रहा है।
मोदी विरोधी नेताओं ने धमाकों के बाद ही साजिश करने वालों को बचाने के लिए जी-जान किस तरह एक कर दिया था, ये इसी से पता चलता है कि यूपी कांग्रेस के तत्कालीन नेता और पूर्व सीएम रामनरेश यादव ने इस मामले में पकड़े गए अबु बशर के घर पर पहुंचकर उसके माता-पिता को सांत्वना दी और ये कहा कि कांग्रेस हाईकमान से वो बशर की गलत गिरफ्तारी के मुद्दे पर बात करेंगे। इस मामले में जब 9 लोग गिरफ्तार हुए, तो आरजेडी के सुप्रीमो लालू यादव ने मीडिया से कहा कि निर्दोष नागरिकों को मोदी और गुजरात पुलिस ने टारगेट किया है और अबु बशर जैसे निरपराध लोगों को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए था। बम ब्लास्ट में सिमी का हाथ होने के पुख्ता सबूत के बाद भी लालू इस संगठन को क्लीन चिट देते हुए सिमी पर प्रतिबंध का विरोध करते रहे।
कांग्रेस की यूपीए सरकार में कपड़ा मंत्री शंकरसिंह वाघेला ने तो ये तक कह दिया कि पुलिस ने इस मामले में निरपराध मुसलमानों को आतंकी बताकर गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा था कि मोदी के लोगों ने ही बम लगाए। वहीं, दिल्ली में कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब भी बीजेपी और संघ दिक्कत में होते हैं, तो इसी तरह बम धमाके कराते हैं। उन्होंने बम बनाने में आरएसएस और वीएचपी का हाथ बताया था। यही नहीं, उस वक्त यूपी की मायावती सरकार ने अबु बशर को गुजरात ले जाने से भी रोकने की कोशिश की थी, लेकिन कोर्ट के सख्त रवैये से उसका इरादा पूरा नहीं हो सका। धमाकों के एक महीने बाद जब मोदी ने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह से मुलाकात की, तो पता चला कि गुजरात सरकार की ओर से पास गुजकोका GUJCOCA कानून को केंद्र सरकार 4 साल से मंजूरी तक नहीं दे रही थी। इस कड़े कानून को मंजूरी मिलती, तो शायद अहमदाबाद में बम धमाके करने वालों के दिल में डर बैठता और इतने लोगों की जान नहीं गई होती।