नई दिल्ली। उम्र महज 19 साल….लेकिन कारनामे ऐसे…जिसे जानकर हो जाए होश फाख्ता…यकीन कर पाना मुश्किल है कि आखिर इस 19 वर्ष के लड़के में ऐसा क्या है कि कई मुल्कों की पुलिस भी काफी जद्दोजहद के बाद अभी तक इसे ढूंढ पाने में नाकाम रही है। आखिर कौन है ये लड़का? क्या है इसकी कहानी? आखिर क्यों पड़ी इंटरपोल को इस 19 साल के लड़के के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की जरूरत? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए हमारी ये खास रिपोर्ट।
कौन है योगेश कादयान
तो इस लड़के का नाम है योगेश कायदान। मूल रूप से हरियाणा के झज्जर का रहने वाले योगेश को किताब पढ़ने की उम्र में हथियार चलाने का चस्का चढ़ा। चस्का भी कोई छोटा-मोटा नहीं, बल्कि ऐसा कि हथियार हाथ में आते ही इस बंदे ने आतंक मचा दिया। जिस उम्र में हम-आप दुनियादारी का लुत्फ उठाने में मसरूफ रहते हैं। उस उम्र में इसने अपराध की दुनिया में कदम रखकर खूंखार अपराधी बनने का ना महज सपना देखा, बल्कि उसे मुकम्मल भी किया। कल्पना मात्र से भी दिल सिहर उठता है कि आखिर किसी शख्स का सपना खूंखार अपराधी बनना कैसे हो सकता है?, लेकिन आपको बता दें कि योगेश का यही सपना था, जिसे पूरा करने के लिए शुरू में तो उसने छिटपुट आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया, लेकिन बाद में इसने इतना बड़ा हाथ मारा कि अब इसकी तलाश में एक या दो नहीं, बल्कि कई मुल्कों की पुलिस को है।
हालांकि, इसके अपराध की कुंडली तो अभी तक किसी के हाथ नहीं लगी है, लेकिन बताया जाता है कि इन दिनों वो पुलिस से बचने के लिए अमेरिका में छुपा है। आखिर वो कब तक पुलिस के साथ लुका-छुप्पी खेलता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन आपको बता दें कि भारत सरकार के आग्रह पर इंटरपोल ने योगेश के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि जल्द ही वो भारत के हाथ लगे। बता दें कि भारत में उसके खिलाफ आईपीसी की कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है, जिसमें आर्म्स एक्ट, आपराधिक साजिश, प्रतिबंधित हथियारों को चलाना सहित कई अन्य आपराधिक गतिविधियों को लेकर उसके खिलाफ मामला दर्ज है। बहरहाल, अब उसके खिलाफ क्या कुछ कार्रवाई की जाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
क्या है रेड कॉर्नर नोटिस
बता दें कि रेड कॉर्नर नोटिस आमतौर पर इंटरपोल द्वारा जारी किया जाता है। इंटरपोल एक अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है, जिसकी स्थापना प्रथम विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय अपराधियों को पकड़ने के मकसद से 7 सितंबर 1923 में ऑस्ट्रिया के वियना में हुई थी। इंटरपोल का पूरा नाम इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन है। शुरुआत में महज 20 देशों ने मिलकर इस अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन की स्थापना की थी, लेकिन आज 192 देश इसके सदस्य हैं। ध्यान दें, प्रथम विश्व युद्ध में यूरोप में जब अपराधी अपराध करके किसी दूसरे देश में शरण लेने लगे, तो उन्हें पकड़ने में दिक्कत होती थी, जिससे निपटने के लिए बाद में इंटरपोल यानी की अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन की स्थापना की गई। इसकी बैठक हर वर्ष होती है। इटरपोल द्वारा ऐसे अपराधियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाता है, जो कि अपराध को अंजाम देकर किसी दूसरे देश में फरार हो जाते हैं।