नई दिल्ली। भारत के मशहूर परमाणु वैज्ञानिक आर. चिदंबरम का निधन हो गया है। आर. चिदंबरम ने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। आर. चिदंबरम 1975 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण से जुड़े हुए थे। उन्होंने 1998 में भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण में भी हिस्सा लिया था। आर. चिदंबरम केंद्र सरकार में प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक के तौर पर भी आर. चिदंबरम ने अपनी सेवा देश के लिए दी। 1994 से 1995 तक वो अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी IAEA के सदस्य भी रहेष इसके अलावा साल 2008 में आर. चिदंबरम को भारत सरकार ने प्रतिष्ठित व्यक्तियों के आयोग में भी शामिल किया। इस आयोग ने 2020 और उसके बाद आईएईए की भूमिका पर रिपोर्ट तैयार की थी। आर. चिदंबरम को 1975 में पद्मश्री और 1999 में पद्म विभूषण सम्मान दिया गया था।
आर. चिदंबरम ने भारत के परमाणु हथियारों को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। आर. चिदंबरम ने यूपी के मेरठ के अलावा चेन्नई में शिक्षा ली थी। उन्होंने भौतिक विज्ञान में बीएससी की डिग्री ली। इसके बाद भौतिक में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की। आर. चिदंबरम ने 1962 में पीएचडी की थी। उन्होंने ‘परमाणु चुंबकीय अनुनाद के विकास’ थीसिस पर पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ने उनको सबसे बेहतर थीसिस के लिए मार्टिन फोर्स्टर मेडल भी दिया था। आर. चिदंबरम की रुचि क्रिस्टल और संघनित पदार्थों में थी। उन्होंने इसी विषय पर कई शोध किए और लेख लिखे। इस पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ने आर. चिदंबरम को डीएससी की उपाधि भी दी थी। आर. चिदंबरम को भारत के 8 विश्वविद्यालयों ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था।
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में आने के बाद आर. चिदंबरम ने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का काम किया। वो बीएआरसी में परमाणु कार्यक्रम की तैयारी करने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिकों के खास समूह में थे। परमाणु हथियार बनाने के लिए उन्होंने इम्प्लोजन विधि को चुना और इसके विकास के लिए डीआरडीओ के साथ मिलकर काम किया। राजस्थान के पोखरण में 1975 के पहले परमाणु परीक्षण के लिए आर. चिदंबरम ने सेना के साथ मिलकर स्थल भी बनाया। आर. चिदंबरम की प्रतिभा को देखते हुए 1990 में उनको भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र का निदेशक बनाया गया था। आर. चिदंबरम कर्नाटक शैली की शास्त्रीय संगीत के भी प्रशंसक थे। वो खुद वीणा भी बजाते थे।