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Bihar: क्यों मारी बीजेपी से पलटी? नीतीश कुमार ने बताई अपनी मजबूरी

सियासी प्रेक्षकों के मुताबिक, जदयू को कमजोर करने की कोशिशें 2020 के बिहार विधानसभा में ही शुरू हो चुकी थी, जब लोजपा ने बीजेपी के समर्थन और जदयू के विरोध में चुनावी बिगलु फूंकने का ऐलान किया था। उस वक्त उन्होंने दो टूक कहा था कि वे बीजेपी के साथ हैं, लेकिन जदयू के विरोध में हैं।

नई दिल्ली। बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से जारी राजनीतिक उथल-पुथल आज अपने निर्णायक मोड पर आ गई, जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल फागू चौहान को सौंप दिया। इसके साथ ही समर्थित विधायकों के हस्ताक्षरयुक्त पत्र भी राज्यपाल को सौंपे दिए। बता दें कि कल नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। नीतीश कुमार आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। लेकिन, जिस तरह से उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व एनडीए से अपनी राहें जुदा कर लीं हैं, उसे लेकर अब सियासी  गलियारों में मुख्तलिफ मसलों पर चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है। कुछ सियासी पंडितों का मानना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की अपनी चाहत को मुकम्मल करने हेतु एनडीए से अलहदा होने का फैसला किया तो कुछ लोगों का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा उन्हें विगत कई दिनों से उपेक्षित किया जा रहा था, जिससे आहत होने के बाद उन्होंने उक्त कदम उठाया तो कुछ लोगों का कहना है कि बीजेपी लगातार जदयू को कमजोर करने की कोशिश कर रही थी, जिसके मद्देनजर नीतीश ने उक्त कदम उठाना उचित समझा।

सियासी प्रेक्षकों के मुताबिक, जदयू को कमजोर करने की कोशिशें 2020 के बिहार विधानसभा में ही शुरू हो चुकी थी, जब लोजपा ने बीजेपी के समर्थन और जदयू के विरोध में चुनावी बिगलु फूंकने का ऐलान किया था। उस वक्त उन्होंने दो टूक कहा था कि वे बीजेपी के साथ हैं, लेकिन जदयू के विरोध में हैं। वहीं, बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे नीतीश कुमार को यह बात हजम नहीं हो पाई और उन्होंने कथित तौर पर इस बात को सहज ही परख लिया कि बीजेपी चिराग पासवान का सहारा लेकर उनकी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और  इस कोशिश में बीजेपी काफी हद तक सफल भी रही थी। बिहार चुनाव में जदयू के खाते में महज 45 सीटें ही आई थी, जो कि नीतीश कुमार के लिए किसी झटके से कम नहीं था, लेकिन इसके बावजूद भी बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद प्रदान किया, लेकिन कहीं ना कहीं लोजपा का सहारा लेकर जदयू को कमजोर करने की कोशिश नीतीश कुमार को सलाती रही, जिसे देखते हुए अब उन्होंने कहीं ना कहीं एक तीर से दो निशान चले दिए हैं। पहला तो उन्होंने बीजेपी शासित राज्यों की फेहरिस्त एक राज्य कम कर दिया, तो वहीं दूसरी तरफ खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने  के लिए खुद का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया है, लेकिन इस बीच उन्होंने  मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में खुद के बीजेपी से हुए मोहभंग के संदर्भ में बड़ा टालमोटल वाला जवाब दिया है।

बता दें कि जब नीतीश कुमार से बीजेपी से हुए मोहभंग के संदर्भ में सवाल किया गया, तो उन्होंने इसका कोई प्रत्यक्ष उत्तर देने से गुरेज ही किया, लेकिन इतना जरूर कहा कि जदयू विधायकों की बैठक में सर्वसम्मति  से यह फैसला लिया गया है कि हम एनडीए से खुद को अलग करके बीजेपी के साथ अपनी सरकार बनाए , जिसे देखते हुए हमनें यह फैसला लिया है। बहरहाल, अब आगामी दिनों में बिहार की राजनीति में क्या कुछ स्थिति देखने को मिलती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम