नई दिल्ली। अब तक जी-20 संगठन में दुनिया के महज 20 देश ही शामिल थे। हालांकि, ये 20 देश भी कम नहीं हैं। बताया जाता है कि यह दुनिया की 60 फीसद आबादी और संसाधन की नुमाइंदगी करते हैं। खैर, अब इस जी-20 को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जी-20 बैठक के दौरान प्रधानमंत्री के प्रस्ताव पर अफ्रीकन यूनियन को संगठन में शामिल किया गया। अफ्रीकन यूनियन के शामिल किए जाने से अब इस संगठन में 21 राष्ट्र शामिल हो गए। अब यह 21 सदस्यीय राष्ट्रों वाला समूह बन चुका है, जिस पर अब पूरे विश्व की निगाहें टिकी रहेंगी।
वहीं, खास बात यह है कि अफ्रीकन यूनियन को संगठन में शामिल कराने के प्रधानमत्री के प्रस्ताव पर सभी सदस्यीय देशों ने सहमति व्यक्त की। किसी ने भी आपत्ति नहीं जताई। जिससे स्पष्ट है कि संगठन के अन्य देश भी चाहते थे कि अफ्रीकन यूनियन को इस संगठन में शामिल किया जाए। अब ऐसे में लगातार लोगों के जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर अफ्रीकन यूनियन को बैठक में क्यों शामिल किया गया। आइए, आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
दरअसल, भारत का युग अभी प्रारंभ हो रहा है। और वैश्विक उच्च तालिका में शामिल करने से अधिक समावेशी शुरुआत क्या हो सकती थी – वह समूह जो दुनिया के 55 देशों को प्रतिबिंबित करता है। अफ़्रीकी महाद्वीप में विश्व की 60% नवीकरणीय ऊर्जा संपत्तियाँ और 30% से अधिक खनिज हैं जो नवीकरणीय और निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। अकेले कांगो में दुनिया का लगभग आधा कोबाल्ट है, जो लिथियम-आयन बैटरी के लिए आवश्यक धातु है। बहरहाल, अब जी-20 सदस्य देशों की ओर से वैश्विक कारकों को प्रभावित करने की दिशा में क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।