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Pashupati Paras : क्या हाजीपुर सीट पर आमने-सामने होंगे चाचा-भतीजा? एनडीए में एक भी सीट न मिलने पर अब क्या होगी पशुपति पारस की रणनीति?

Pashupati Paras : पशुपति पारस ने 15 मार्च को अपने तेवर दिखाते हुए कहा था कि जब तक बीजेपी की उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं हो जाती, हम इंतजार करेंगे। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अगर हमें उचित सम्मान नहीं दिया गया तो हमारी पार्टी स्वतंत्र है और हमारे दरवाजे खुले हैं। हम कहीं भी जाने को तैयार रहेंगे।

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है। 40 लोकसभा सीटों में 17 पर बीजेपी जबकि 16 पर जेडीयू चुनाव लड़ेगी। वहीं जैसा कि पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को खाते में 5 सीटें आई हैं। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल और जीतन राम मांझी की पार्टी हम एक-एक सीट पर मैदान में उतरेगी। जैसा की पहले ही तय माना जा रहा था कि एनडीए की ओर से चिराग के चाचा पशुपति पारस की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को एक भी सीट आफर नहीं की जाएगी, वैसा ही हुआ। हालांकि कयास ये भी हैं कि पशुपति पारस को राज्यपाल पद का ऑफर दिया गया है हालांकि अभी इसकी कहीं से भी कोई पुष्टि नहीं है। अब दिलचस्प ये है कि पशुपति पारस का आगे का स्टैंड क्या होगा? हाजीपुर सीट से मौजूदा सांसद पशुपति पारस क्या एनडीए में रहेंगे या बागी होकर हाजीपुर सीट से चिराग के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगे इस पर सभी की निगाह है।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति पारस ने बीती 15 मार्च को अपने तेवर दिखाते हुए कहा था आज हमारे संसदीय बोर्ड की बैठक में फैसला किया गया है कि जब तक बीजेपी की उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं हो जाती, हम इंतजार करेंगे। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अगर हमें उचित सम्मान नहीं दिया गया तो हमारी पार्टी स्वतंत्र है और हमारे दरवाजे खुले हैं। हम कहीं भी जाने को तैयार रहेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वे हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे। सूत्रों के मुताबिक चर्चा ये भी है कि आरजेडी ने पशुपति पारस को महागठबंधन में शामिल होने और तीन सीटों का ऑफर दिया है। सूत्र बता रहे हैं कि पारस कल यानी मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने फैसलों का ऐलान करेंगे।

एनडीए की ओर से सीटों पर फाइनल मोहर लगने के बाद चिराग पासवान ने भी अपनी प्रतिक्रिया में साफ कहा है कि हाजीपुर की सीट मुझे मिल रही है तो कहीं न कहीं मैं वहीं से चुनाव लड़ूंगा। आपको बता दें कि रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद लोक जनशक्ति पार्टी दो धड़ों में बंट गई थी। चिराग खुद को रामविलास पासवान का असली उत्तराधिकारी बताते हैं। पशुपति पारस का कहना है कि चिराग संपत्ति के उत्तराधिकारी हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक तौर पर मैं ही रामविलास पासवान का असली उत्तराधिकारी हूं। हाजीपुर दिवंगत रामविलास पासवान की कर्मभूमि और निर्वाचन क्षेत्र रहा है। हाजीपुर सीट को लेकर चिराग और उनके चाचा के बीच विवाद जगजाहिर है। ऐसे में अब अगर चिराग और पशुपति पारस एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे तो निश्चित तौर पर चुनाव दिलचस्प होगा।