बेंगलुरु। किसानों की जमीन वक्फ बोर्ड को सौंपे जाने के मामले में हो-हल्ला मचने और सियासत गर्माने के बाद कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने कदम पीछे खींच लिया है। कर्नाटक सरकार के राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ने सभी क्षेत्रीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को वक्फ के मुद्दे पर चिट्ठी लिखी है। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ने चिट्ठी में लिखा है कि वक्फ बोर्ड की तरफ से किसानों को दिए सभी नोटिस वापस लिए जाएं। साथ ही ये भी कहा है कि किसी भी प्राधिकरण ने अगर नामांतरण यानी म्यूटेशन का आदेश दिया है, तो उसे भी वापस लेकर म्यूटेशन का काम बंद किया जाए।
Karnataka Government’s Principal Secretary, Revenue Department writes to all Regional Commissioners and DCs related to the Waqf issue.
The order says to withdraw all notices served to farmers and to immediately take back the land mutation orders served by any authority and also… pic.twitter.com/GEqP7Fy1b3
— ANI (@ANI) November 10, 2024
बीते दिनों ही जानकारी सामने आई थी कि कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने तमाम किसानों की जमीन अपने नाम लिखवा ली है। ये भी सामने आया था कि राजस्व रिकॉर्ड में जमीन का म्यूटेशन भी तुरत-फुरत कर दिया गया। किसानों की जमीन पर वक्फ बोर्ड के कब्जे का खुलासा होते ही कर्नाटक में विपक्षी बीजेपी ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया। बीजेपी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के सीएम सिद्धारामैया पर ही सीधा आरोप लगाया कि उनके निर्देश पर किसानों से जमीन छीनकर वक्फ बोर्ड के नाम की गई। बीजेपी लगातार इस मुद्दे को उठा रही थी। नतीजे में कर्नाटक की सियासत गर्माई थी। इसके बाद अब कर्नाटक सरकार ने वक्फ बोर्ड और राजस्व विभाग की तरफ से उठाए गए कदमों को रोकने का काम किया है।
बता दें कि देशभर में वक्फ बोर्डों के कामकाज को लेकर इस तरह के सवाल उठते रहते हैं। पिछले दिनों ही तमिलनाडु का एक मामला सामने आया था। जहां एक गांव पर ही वक्फ बोर्ड ने दावा कर दिया था। जबकि, वहां बहुत प्राचीन मंदिर भी है। इसी तरह बिहार के एक गांव में वक्फ बोर्ड ने अपनी जमीन होने का दावा किया था और वहां लोगों को नोटिस भेजे थे। गुजरात के सूरत में तो वक्फ बोर्ड ने नगर पालिका के भवन पर ही दावा ठोक दिया। जिसे बाद में गुजरात हाईकोर्ट ने रद्द किया। दरअसल, वक्फ बोर्डों के पास असीमित ताकत है। वो किसी भी जमीन को अपना बता सकता है। इसके खिलाफ सिर्फ वक्फ बोर्ड और वक्फ ट्रिब्यूनल में ही सुनवाई होती है। वक्फ बोर्ड के ऐसे ही कामकाज पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार संशोधन बिल लाई थी। फिलहाल इस बिल पर जेपीसी में चर्चा जारी है।