
नई दिल्ली। पूरी दुनिया हर साल 23 अप्रैल के दिन को ‘वर्ल्ड बुक डे’ के रूप में मनाती है और इसी के चलते आज यानी 23 अप्रैल शनिवार को एक बार फिर ‘विश्व पुस्तक दिवस’ (World Book Day) सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस बार विश्व पुस्तक दिवस का 25 वां एडिशन मनाया जाएगा। इस दिन को सेलिब्रेट करने का फैसला साल 1995 में सबसे पहली बार यूनेस्को ने लिया था, तब से लेकर अब तक इस दिन को मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को किताबों के प्रति रुचि जागृत करना है। किताबें, जो हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा हैं, तकनीकि के क्षेत्र में विस्तार होने की वजह से आजकल के अधिकतर युवाओं ने किताबों से दूरी बना ली है। कोरोना काल के दौरान लगे लॉकडाउन में कई बड़े सेलिब्रिटीज ने इस बात का खुलासा किया था कि लॉकडाउन के चलते उन्हें किताबों के साथ समय बिताने का मौका मिला और उन्होंने अलग-अलग तरह की किताबें पढ़ीं, जिससे उन्हें चीजों को देखने का एक नया नजरिया मिला। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व पुस्तक दिवस मनाने के लिए 23 अप्रैल का दिन ही क्यों चुना गया? उसका कारण ये है कि इस दिन कई प्रमुख लेखकों का जन्म हुआ था और इसी दिन कुछ महान लेखकों ने अपनी अंतिम सांसे भी ली थी। प्रसिद्ध लेखक ‘मैनुएल मेजिया वल्लेजो’ और ‘मौरिस ड्रून’ का जन्म 23 अप्रैल को हुआ था, जबकि महान ड्रामाटिस्ट ‘विलियम शेक्सपियर’, ‘मिगुएल डे सर्वेंट्स’ और ‘जोसेप प्लाया’ का 23 अप्रैल को निधन हुआ था। इसी वजह से 23 अप्रैल वर्ल्ड बुक डे के रूप में मनाया जाता है।
‘वर्ल्ड बुक डे’ को यूनेस्को और इसके अन्य सहयोगी संगठन आने वाले वर्ष के लिए ‘वर्ल्ड बुक कैपिटल’ का चुनाव करते हैं, जिसका उद्देश्य अगले एक वर्ष के लिए किताबों से संबंधित होने वाले कार्यक्रमों के आयोजन से होता है, जिससे आने वाली नई किताबों के प्रति पाठकों में जागरूकता पैदा किया जा सके। विश्व पुस्तक दिवस (World Book Day) को मनाने का हर देश में अलग-अलग तरीका है। इस अवसर पर कहीं पर मुफ्त में किताबें बांटी जाती हैं, तो कहीं लोगों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। स्पेन में इस मौके पर दो दिनों तक रीडिंग मैराथन का आयोजन किया जाता है, जो दुनिया भर में काफी मशहूर है।