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गंभीर है सिकल सेल, लेकिन है इसका इलाज : डॉक्टर राहुल भार्गव

दुनिया भर में आज विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। ज्यादातर लोगों की तरह संभव है कि ‘सिकल सेल’ के नाम से आप भी पहली बार ही परिचित हो रहे हों। सिकल सेल दरअसल एक तरह की खून की बीमारी है जो मुख्य तौर पर अनुवांशिकता के कारण होती है।

नई दिल्ली। दुनिया भर में आज विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। ज्यादातर लोगों की तरह संभव है कि ‘सिकल सेल’ के नाम से आप भी पहली बार ही परिचित हो रहे हों। सिकल सेल दरअसल एक तरह की खून की बीमारी है जो मुख्य तौर पर अनुवांशिकता के कारण होती है। अगर कोई महिला या पुरुष इस बीमारी से पीड़ित हो साथ ही उसके जीवनसाथी के साथ भी यदि सिकल सेल की समस्या हो तो उन दोनों के जरिये पैदा होने वाली संतान में सिकल सेल के घातक रूप लेने की संभावना रहती है।

मेडिकल विशेषज्ञ सिकल सेल को समझाने के लिए अक्सर थैलेसीमिया का उदाहरण देते हैं। जैसे महिला-पुरुष दोनों का कोई युगल यदि माइनर थैलेसीमिया से पीड़ित हो तो उनकी संतान के मेजर थैलेसीमिया की चपेट में आने की संभावना कहीं अधिक हो जाती है। इसी तरह सिकल सेल में भी होता है। अगर किसी युगल महिला एवं पुरुष के खून में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन में विकार हों तो उनके जरिये पैदा किए जाने वाले शिशु में हीमोग्लोबिन की समस्या आने की अधिक संभावना रहती है जो भविष्य में सिकल सेल रूपी विकार अख्तियार कर सकता है।

सिकल सेल विकार है क्या?

सिकल सेल संबंधी समस्या होने पर रोगी के शरीर के खून में मौजूद आरबीसी यानी रेड ब्लड सेल जिसे लाल रक्त कोशिका भी कहा जाता है वह प्रभावित होने लगती है। खून में ही हीमोग्लोबिन भी पाया जाता है जिसका मुख्य काम रक्त वाहिनियों से होते हुए शरीर के विभिन्न हिस्सों तक आक्सीजन पहुंचाना होता है। ऐसे में किसी महिला—पुरुष या बच्चे के इस रोग के प्रभाव में आने पर लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदलने लगता है साथ ही शरीर के सभी हिस्सों तक उचित मात्रा में खून और आक्सीजन नहीं पहुंच पाता। जिन हिस्सों में खून का प्रवाह प्रभावित होता है वहां के ऊतक प्रभावित होने लगते हैं और इसकी वजह से धीरे—धीरे शरीर के कई दूसरे अंग जैसे फेफड़े, हृदय, जिगर सहित अन्य हिस्सों में विकार या फिर उनके फेल होने की समस्या व संभावना घिरने लगती है।

क्या है बीमारी के लक्षण

चूंकी यह बीमारी अनुवांशिक है ऐसे में किसी शिशु के जन्म के पांच से छह महीने के बाद से ही इसके लक्षण दिखने लगते हैं. किसी के इस बीमारी के चपेट में आने के बाद शरीर में दर्द, हाथ—पैर में सूजन, एनीमिया, वैक्टीरियल संक्रमण, दृष्टि दोष, हड्डियों में दर्द व नुकसान, विकास में समस्या जैसी परेशानियां दिखने लगती हैं।

क्या भारत भी है इसकी चपेट में

सिकल सेल के रोगी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी हैं। ऐसे में देशों और महाद्वीपों में अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के अलावा भूमध्यसागर के देश जैसे ग्रीस, इटली, तुकी तो वहीं मध्य अमेरिका के अलावा सऊदी अरब जैसे खाड़ी के अनेक देश भी शामिल हैं।

क्या इस बीमारी का इलाज है

खून और खून संबंधी होने वाले कई गंभीर विकारों का सफल इलाज मौजूदा समय में हो रहा है। इसके अलावा जिन बीमारियों को कुछ वर्ष या फिर दशक भर पहले तक असाध्य माना जाता था मेडिकल साइंस ने उनका इलाज भी आज तलाश लिया है। इन्हीं में सिकल सेल भी एक है। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में डिपार्टमेंट ऑफ ब्लड डिसऑर्डर के डायरेक्टर, राहुल भार्गव कहते हैं, ‘मौजूदा समय में वैक्सीन और फोलिक एसिड के सप्लीमेंट के जरिये सिकल सेल का इलाज संभव है। अगर इससे भी बात नहीं बनती है तो कैंसर के अलावा कई दूसरे तरह के रक्त विकारों को ठीक करने के लिए जिस तरह बोन मैरो ट्रांस्प्लांट का विकल्प अपनाया जाता है उसी प्रकार सिकल सेल के इलाज के लिए हम इसमें भी बीएमटी का इस्तेमाल कर सकते हैं।’ राहुल भार्गव का यह भी कहना है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान सिकल सेल के रोगियों को स्वस्थ करने के लिहाज से बोन मैरो ट्रांस्प्लांट के विकल्प में काफी अहम भूमिका निभाई है और इस विकल्प के सकारात्मक परिणाम देखने को भी मिले हैं।