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Digital Arrest First Live Recording: पहली बार लाइव देखिए, कैसे डिजिटल अरेस्ट करते हैं फर्जीवाड़ा करने वाले

नई दिल्ली। डिजिटल ठगों ने एक बार फिर से नई रणनीति अपनाकर लोगों को ठगने का सिलसिला शुरू कर दिया है। इस बार ठगी का तरीका और भी खतरनाक हो गया है, जिसमें ठग खुद को पुलिस अधिकारी और टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी बताकर लोगों को धमकी दे रहे हैं। एक यूजर …

नई दिल्ली। डिजिटल ठगों ने एक बार फिर से नई रणनीति अपनाकर लोगों को ठगने का सिलसिला शुरू कर दिया है। इस बार ठगी का तरीका और भी खतरनाक हो गया है, जिसमें ठग खुद को पुलिस अधिकारी और टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी बताकर लोगों को धमकी दे रहे हैं। एक यूजर ने इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश करते हुए इसकी लाइव रिकॉर्डिंग की और ठगों की चालबाजी को उजागर किया है। इस नए डिजिटल ठगी में ठग, लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनका मोबाइल नंबर वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल है और अगर उन्होंने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो उनका नंबर बंद कर दिया जाएगा। यह धमकी मिलने पर घबराए हुए लोग आसानी से ठगों की बातों में आ जाते हैं और अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा कर देते हैं, जिससे ठग उनके बैंक खातों और डिजिटल पेमेंट ऐप्स का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि यह घोटाला किस तरह से लोगों को फंसाता है.. एक्स यूजर ने एक पोस्ट थ्रेड में एक-एक करके कई स्टेप्स में इस धोखाधड़ी को लाइव रिकॉर्ड किया है..


सबसे पहले, एक अज्ञात नंबर से यूजर को कॉल किया जाता है। कॉलर यूजर को बताता है कि उसका मोबाइल नंबर 4 घंटे के भीतर बंद कर दिया जाएगा, क्योंकि यह कथित रूप से उत्पीड़न और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में शामिल है।


कॉलर खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया (TRAI) का अधिकारी बताता है और यूजर को दो विकल्प देता है – या तो 12 घंटे के अंदर लखनऊ पुलिस स्टेशन पहुंचे या व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए अपना बयान दर्ज कराए।

ज़्यादातर लोग पुलिस स्टेशन जाने से बचने के लिए व्हाट्सएप वीडियो कॉल का विकल्प चुनते हैं। यूजर ने भी यही विकल्प चुना और इस पूरे घोटाले को रिकॉर्ड करने का फैसला किया।

जब यूजर ने व्हाट्सएप कॉल रिसीव की, तो सामने एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में दिखाई दिया और पीछे का सेटअप किसी पुलिस स्टेशन जैसा दिखाया गया। इसे देखकर अधिकांश लोग इस घोटाले को असली मामला मान लेते हैं।

इसके बाद, कॉलर ने यूजर से उसके आसपास की जगह दिखाने के लिए 360-डिग्री व्यू का वीडियो मांगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यूजर अकेला है और उसके साथ कोई और नहीं है।

अगला कदम आधार कार्ड की जानकारी मांगना था। कॉलर ने दावा किया कि यूजर का आधार कार्ड अवैध रूप से इस्तेमाल हो रहा है और इसे रोकने के लिए आधार नंबर की जानकारी जरूरी है। इस तरह यूजर की निजी जानकारी हासिल करने की चाल चली गई।

इसके बाद, कॉलर ने यूजर को एक नकली दस्तावेज़ दिखाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और TRAI के नाम का इस्तेमाल किया गया था। इस दस्तावेज़ में यूजर का नाम और आधार नंबर शामिल था, लेकिन उसमें एक छोटी सी स्पेलिंग गलती से इसकी असलियत खुल गई।

इसके बाद, एक नकली वॉकी-टॉकी के ज़रिए कॉलर ने यूजर के बारे में पुलिस मुख्यालय से जानकारी मांगी और फिर उसकी आवाज़ का लहजा बदल गया। उसने धमकी देते हुए कहा कि यूजर का संबंध मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नवाब मलिक से है और अब उसे गिरफ्तार किया जाएगा।

इस धमकी का असली उद्देश्य था यूजर से उसके बैंक खातों की जानकारी लेना और यह जानना कि उसके खातों में कितनी रकम है। इसके बाद यूजर से पूछा गया कि क्या वह UPI या नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करता है, ताकि ठग उसके खातों से पैसे निकाल सकें।

अंत में, कॉलर ने यूजर से कहा कि उसे सभी बैंक खातों में मौजूद रकम ट्रांसफर करनी होगी। यह दावा किया गया कि अगर यूजर निर्दोष पाया गया, तो उसकी रकम वापस कर दी जाएगी और उसे एक प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा।