
नई दिल्ली। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) द्वारा आयोजित होमलैंड सिक्योरिटी 2025 सम्मेलन और 8वें SMART पुलिसिंग अवॉर्ड्स का भव्य समापन हुआ। नई दिल्ली स्थित FICCI फेडरेशन हाउस में आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर के शीर्ष पुलिस अधिकारी, नीति निर्धारक और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस आयोजन का उद्देश्य भारत में कानून व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा देना और पुलिस बलों के बेहतरीन कार्यों को सम्मानित करना था।
इस सम्मेलन का सबसे बड़ा आकर्षण रहा FICCI स्मार्ट पुलिसिंग अवॉर्ड्स फेलिसिटेशन सेरेमनी, जहां भारत के अग्रणी राज्य पुलिस बलों और केंद्रीय एजेंसियों को उनके अनूठे, नवाचार-आधारित और प्रभावी पुलिसिंग मॉडल्स के लिए सम्मानित किया गया।
इस साल दिल्ली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश की पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) को उनके असाधारण कार्यों के लिए सराहा गया।
इन अवॉर्ड्स के तहत बाल सुरक्षा, सामुदायिक पुलिसिंग, अपराध जांच एवं अभियोजन, साइबर अपराध प्रबंधन, आपदा एवं आपातकालीन प्रतिक्रिया, मानव तस्करी, सड़क सुरक्षा एवं ट्रैफिक प्रबंधन, स्मार्ट पुलिस स्टेशन, निगरानी एवं मॉनिटरिंग, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, महिला सुरक्षा और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर किए गए बेहतरीन प्रयासों को सराहा गया।
पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जी.के. पिल्लई ने अपने संबोधन में साम्प्रदायिक तनाव और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ी बढ़ती चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए पुलिसिंग में बेहतर प्रशिक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि संवेदनशील परिस्थितियों को प्रभावी ढंग से संभाला जा सके।
FICCI रक्षा एवं होमलैंड सिक्योरिटी कमेटी के को-चेयर और SMPP के सीईओ, आशीष कंसल ने आधुनिक पुलिसिंग में बढ़ती जटिलताओं पर जोर दिया। उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसियों और भारतीय उद्योग जगत के बीच सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता बताई, जिससे सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों के लिए उपयुक्त तकनीकी समाधान विकसित किए जा सकें।
FICCI रक्षा एवं होमलैंड सिक्योरिटी कमेटी के को-चेयरमैन और ज़ेन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन एवं एमडी अशोक अतलुरी ने पुलिस विभाग में तकनीकी खरीद प्रक्रियाओं में आ रही बाधाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह “Indigenously Designed, Developed, and Manufactured” (IDDM) पहल के तहत स्वदेशी तकनीकों को प्राथमिकता देकर पुलिसिंग क्षमताओं को मजबूत करे।
पूर्व डीजी, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) अरुण कुमार, IPS (सेवानिवृत्त) ने कानून प्रवर्तन में तकनीक और मानवीय बुद्धिमत्ता के संतुलन पर जोर दिया। उन्होंने यूपी STF द्वारा 1990 के दशक में मोबाइल सर्विलांस के पहले प्रयोग का उदाहरण देते हुए कहा कि अत्यधिक तकनीकी निर्भरता से बचना चाहिए और परंपरागत जमीनी पुलिसिंग को मजबूत बनाना जरूरी है।
गृह मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के मेजर जनरल प्रवीन छाबड़ा ने आतंक प्रभावित क्षेत्रों में IED धमाकों के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई। उन्होंने न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस और सैटेलाइट इमेजिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के विकास पर जोर दिया, जिससे विस्फोटकों का जल्द पता लगाया जा सके।
इस सम्मेलन में ‘स्मार्ट पुलिसिंग के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों का संकलन’ (Compendium of Best Practices in स्मार्ट Policing) भी लॉन्च किया गया। इसमें देशभर के पुलिस बलों द्वारा अपनाए गए सफल और प्रभावी उपायों को शामिल किया गया है, जो अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायक मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं।
FICCI होमलैंड सिक्योरिटी सम्मेलन 2025 ने तकनीक, नवाचार और सहयोग को कानून व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने के महत्वपूर्ण पहलू के रूप में रेखांकित किया। इस आयोजन में पुलिस बलों, नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के बीच संवाद को बढ़ावा मिला, जिससे सुरक्षा चुनौतियों के समाधान के लिए व्यावहारिक सुझाव सामने आए। सम्मेलन ने यह स्पष्ट किया कि आधुनिक पुलिसिंग में तकनीक और परंपरागत तरीकों के संतुलित उपयोग की जरूरत है।