
नई दिल्ली। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (PCI) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय साहित्य महोत्सव और पुस्तक मेला 29 फरवरी से 2 मार्च तक चला और उम्मीदों से कहीं ज्यादा सफल रहा। इस ऐतिहासिक आयोजन ने 18 से अधिक प्रकाशकों, साहित्य प्रेमियों और पुस्तक विक्रेताओं को एक मंच पर लाकर पत्रकारिता और साहित्य के गहरे संबंधों को उजागर किया।
महोत्सव में प्रेस की स्वतंत्रता, खोजी पत्रकारिता और साहित्य के समाज पर प्रभाव जैसे अहम विषयों पर गहन चर्चा हुई। विभिन्न सत्रों, पुस्तक विमोचनों और इंटरैक्टिव वर्कशॉप के माध्यम से मीडिया और साहित्य से जुड़े मुद्दों को विस्तार से समझने और समझाने का मौका मिला। PCI के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने इस सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह पहला आयोजन हमारी उम्मीदों से कहीं बढ़कर रहा। इस मंच पर हुई चर्चाओं ने पत्रकारिता और साहित्य के बीच गहरे रिश्ते को और मजबूत किया है। हम अगले साल इसे और बड़े स्तर पर लाने के लिए तैयार हैं।”
इस महोत्सव की सबसे खास उपलब्धि ₹10 लाख की किताबों की बिक्री रही और में 18 प्रमुख प्रकाशकों की भागीदारी भी देखने को मिली। साथ ही, जय सिंह, रोहिणी सिंह और मसोम मुरादाबादी सहित कई चर्चित लेखकों की 12 नई किताबों का विमोचन हुआ। PCI के महासचिव नीरज ठाकुर ने कहा, “हम लोगों की जबरदस्त भागीदारी से बेहद उत्साहित हैं। जो शुरुआत पत्रकारिता और साहित्य के उत्सव के रूप में हुई थी, वह अब एक बड़ा सांस्कृतिक आयोजन बन चुका है। हम इसे और समावेशी और भव्य बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।”
वहीं PCI के सचिव जितेंद्र सिंह ने कहा है, “यह सिर्फ एक पुस्तक मेला नहीं था, बल्कि विचारों और बहस का एक महत्वपूर्ण मंच भी था। पत्रकारिता और साहित्य की भूमिका पर हुई चर्चाएं बेहद सार्थक रही हैं। अब इसे हर साल आयोजित करने का हमारा संकल्प और भी मजबूत हो गया है।” PCI की उपाध्यक्ष संगीता बड़ोआ पिशारोती ने धन्यवाद ज्ञापन में सभी प्रकाशकों, पुस्तक विक्रेताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और आश्वासन दिया कि आने वाले वर्षों में यह महोत्सव और व्यापक और समृद्ध रूप में आयोजित किया जाएगा।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सदस्य मनोज शर्मा ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा, “यह एक बेहतरीन पहल थी! मैं अपनी बेटियों के साथ यहां आया था, और उन्होंने पांच किताबें खरीदीं। इस तरह के आयोजनों से न सिर्फ किताबों के प्रति रुचि बढ़ती है, बल्कि समाज में पढ़ने-लिखने की संस्कृति भी मजबूत होती है। हम अगले साल के आयोजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।”इस सफलता के बाद, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने घोषणा की कि यह साहित्य महोत्सव अब हर साल आयोजित किया जाएगा। 2026 में इसे और भी बड़े पैमाने पर, अधिक भागीदारी और व्यापक प्रतिनिधित्व के साथ प्रस्तुत करने की योजना बनाई गई है।