newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

UP: क्या सच में गंगा किनारे दफनाए गए थे शव? खुद CM योगी के दफ्तर ने ट्वीट कर दी बड़ी जानकारी, सामने आया सच!

Uttar Pradesh: बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निजी दफ्तर ने अपने ट्विटर हैंडल से इस पूरे प्रकरण पर बड़ी जानकारी दी है। ट्वीट में जिस खबर का जिक्र किया गया है, उसके मुताबिक, ये तस्वीर 2 साल पुरानी मार्च 2018 की है।

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे शवों को दफनाने की कई तस्वीरें सामने आई है। जिसको लेकर लगातार विपक्षी दल  यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला बोल रही है। इतना ही नहीं देश-विदेश की मीडिया ने भी इन तस्वीरों को जगह दी। लेकिन विदेशी मीडिया में गंगा किनारे की जिन तस्वीरों को अब दर्शाया गया। वह एक खास प्रोपेगेंडा का ही हिस्सा था। इन सबके बीच विदेशी मीडिया और विपक्षी दलों द्वारा फैलाए जा रहे इस भ्रम की सच्चाई अब सामने आ गई है, जो कि लगातार संगमनगरी में गंगा किनारे दफनाए गए पुरानी तस्वीर को शेयर करते हुए हालिया बता रहे है। उनकी अब पोल खुल गई है।

Dead bodies Unnao

बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निजी दफ्तर ने अपने ट्विटर हैंडल से इस पूरे प्रकरण पर बड़ी जानकारी दी है। ट्वीट में जिस खबर का जिक्र किया गया है, उसके मुताबिक, ये तस्वीर 2 साल पुरानी मार्च 2018 की है। इसके अलावा खबर में ये भी बताया गया है कि, उस वक्त कोरोना महामारी भी नहीं थी। और न शव दफनाने की कोई मजबूरी थी।

दरअसल ये एक हिंदू परंपरा थी, जो वर्षों से चली आ रही थी। इसमें बताया गया कि, प्रयागराज स्थित फाफामऊ के घाट पर शव को दफनाने की परंपरा रही है।

तो क्या, पीएम मोदी और सीएम योगी के खिलाफ साजिश थी, विदेशी मीडिया के द्वारा जारी संगम नगरी प्रयागराज की तस्वीरें?

अब आते हैं प्रयागराज में संगम के किनारे लाशों के दबाए जाने की वायरल तस्वीर की सच्चाई पर। यह सही है कोरोना की चैन को जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में कुशलतापूर्वक यूपी में तोड़ा गया। इतनी बड़ी आबादी वाले प्रदेश के इस मॉडल की प्रशंसा WHO तक को करनी पड़ी। लेकिन खबर ये कहां थी। कुछ भाजपा विरोधी मीडिया संस्थानों की गिद्ध नजर तो सरकार को बदनाम करने की थी। वह दिल्ली में हुई अव्यवस्था के लिए नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार मान रहे थे, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के लिए भी नरेंद्र मोदी की सरकार जिम्मेदार थी। लेकिन इन राज्यों में जिन लोगों की जान बच रही थी उसके लिए वह वहां की राज्य सरकारों की पीठ थपथपा रहे हैं। वहीं भाजपा शाषित प्रदेशों में सीधे तौर पर वहां के मुख्यमंत्री सबके लिए केंद्र सरकार के साथ जिम्मेदार थे। अब आगे आइए, राजस्थान में एक जिले में 14 हजार से ज्यादा मौतें हुई लेकिन उसी जिले में मौत का आंकड़ा सरकारी 500 है। इस खबर पर यही मीडिया संस्थान चुप हैं। पता है क्यों, क्योंकि यहां कांग्रेस की सरकार है और ये इनके प्रोपेगेंडा को सूट नहीं करता है।


तो प्रयागराज के तस्वीर की सच्चाई जान लीजिए। पहले सवाल जो जायज हैं। क्या पुरानी तस्वीरों की आड़ में योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश की जा रही है? आज कोरोना के केस में ना सिर्फ कमी आ गई है। इसके बावजूद पुरानी तस्वीरों को वायरल आखिर किस मकसद से किया जा रहा है? योगी के विरोध में प्रयागराज को फोकस करके क्या साबित किया जा रहा है?


यूपी में कोरोना को कंट्रोल करने को लेकर जिस तेजी से कवायद शुरू हुई। उतनी शायद दूसरी किसी प्रदेश में नहीं देखी गई। लेकिन ये तस्वीर विदेशी मीडिया में नहीं दिखाई गई। तो फिर किस मकसद से पुरानी तस्वीर को शेयर कर प्रयागराज के मुद्दे को उछाला जा रहा है। क्या ड्रोन कैमरे के इस्तेमाल से ली गई तस्वीर का मकसद योगी सरकार को बदनाम करने का था। ऐसे तमाम सवाल उठ रहे हैं। दरअसल प्रयागराज की जो मौजूदा स्थिति है उसमें बड़ा फर्क आ चुका है।

PM Modi And Yogi Adityanath

ये सच कि कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से मामले बढ़े। प्रयागराज के फाफामऊ और श्रृंगवेरपुर घाट की जो तस्वीरें सामने आईं उनका सच क्या है? क्या आज भी प्रयागराज में ऐसा ही माहौल है? तो जवाब है नहीं, प्रयागराज में इन घाटों पर 4 जिलों के लोग अंतिम संस्कार के लिए लोग अपने परिजनों के शवों को लेकर आते रहे हैं। कोरोना के पीक में यहां जब मामले बढ़े तो मौतें भी हुईं, और लोग घाट पर भी आए। यहां कुछ वर्गों में अंतिम संस्कार के लिए दफनाने की प्रक्रिया को अपनाया जाता है। लिहाजा उन्होंने दफनाया भी गया। लेकिन जो तस्वीर विदेशी मीडिया या सोशल मीडिया पर अब वायरल की जा रही है। वो काफी पुरानी हो चली है। अब घाट के किनारे सफाई है। और कोरोना के मामलों में भी कमी आई है। इन घाटों पर पहले से ही रोजाना 10-12 अंतिम संस्कार के किए जाते रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहरे में आंकड़े बढ़े जरूर। लेकिन अब हालात नियंत्रण में हैं।

जिस प्रयागराज में कोरोना को तेजी से काबू में किया गया। उसकी वास्तविकता ना पहुंचाकर सीएम योगी की इमेज को खराब करने के लिए इन तस्वीरों का प्रयोग हो रहा है। एक निजी टेलीविजन चैनल ने ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट कवर की उससे ये बात साफ हो गई की प्रयागराज में सीएम योगी की टीम ने किस तेजी से काम कर कोरोना को कंट्रोल किया और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया।

जाहिर है, सरकार ने कोरोना को लेकर तेजी से कदम उठाए उसका असर भी दिख रहा है। ऐसे में अगर कोई सोशल मीडिया के जरिए सिर्फ पुरानी तस्वीर को प्रयागराज के आज के हालात से जोड़कर भेज रहा है तो सचेत रहें। वास्तविक हालात कुछ और हैं और वायरल हो रही इन तस्वीरों का फैक्ट चेक जरूर करें।