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गाय के बच्चे का Serum क्या Covaxin में किया गया है इस्तेमाल, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताई सच्चाई

Covaxin: मंत्रालय ने ये भी बताया कि वेरो सेल्स को विकसित करने के बाद उसे कई बार पानी और कैमिकल से धोया जाता है, जिससे उसे बछड़े के सीरम से मुक्त किया जाता है।

नई दिल्ली। देशभर में कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी का प्रकोप जारी है। हालांकि कोरोना के दैनिक मामलों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटों के दौरान देशभर में कोरोना 62,224 नए मामले सामने आए हैं, जबकि इस दौरान 2,542 लोगों की मौत हुई है। एक तरफ जहां कोरोना के खिलाफ जंग में सरकार देशभर में वैक्सीनेशन अभियान भी तेजी से चला रही है। महामारी के इस दौर में वैक्सीन को एक बड़े हथियार के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ कुछ विपक्ष दल वैक्सीन को लेकर भ्रामक खबरे फैलाने का काम लगातार कर रहे है। इसी कड़ी में कोरोना के स्वदेशी टीके कोवैक्सिन को लेकर सोशल मीडिया पर कांग्रेस ने फेक न्यूज फैलाई है। दरअसल सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि कोवैक्सिन में गाय के नवजात बछड़े के खून को मिलाए जाने की बात बीते कई दिनों से कही जा रही थी। जिसपर अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपना पक्ष रखा है।

Covaxin

इस दावे को स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिरे खारिज करते हुए कहा है कि इस मामले में तथ्यों को तोड़मरोड़कर और गलत ढंग से रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल सिर्फ वेरो सेल्स को तैयार करने और विकसित करने के लिए ही किया जाता है। वायरल ग्रोथ के दौरान ये वेरो सेल्स नष्ट हो जाती हैं। इस दौरान जो भी विषाणु विकसित होते हैं वो भी मर जाते हैं। उसके बाद जो वेरो सेल्स बचती हैं उनका इस्तेमाल वैक्सीन बनाने में होता है।

मंत्रालय ने ये भी बताया कि वेरो सेल्स को विकसित करने के बाद उसे कई बार पानी और कैमिकल से धोया जाता है, जिससे उसे बछड़े के सीरम से मुक्त किया जाता है।

बता दें कि कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग में राष्ट्रीय संयोजक गौरव पंधी ने एक आरटीआई के जवाब का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया था कि कोवैक्सीन बनाने के लिए 20 दिन के बछड़े की हत्या की जाती है।