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OSIRIS-REx VIDEO: अमेरिका ने कर दिखाया कमाल!, पहली बार धूमकेतु का सैंपल लेकर धरती पर लौटा अंतरिक्ष यान

OSIRIS-REx VIDEO: अब अमेरिका ने इस खतरनाक उल्कापिंड का सैंपल धरती पर लाकर (NASA’s OSIRIS-REx Asteroid Sample Return) कमाल दिखा दिया है। बता दें कि इस उल्कापिंड के सैंपल को जांच के लिए लाया गया है। जांच में ये देखा जाएगा कि ये कितना मजबूत है। क्या इसे अंतरिक्ष में ही मिसाइल से तबाह किया जा सकता है या नहीं…

नई दिल्ली। एक दिन पहले 24 सितंबर को रात साढ़े 8 बजे अमेरिका के रेगिस्तान में एक कैप्सूल धरती पर उतरा। अंतरिक्ष से आया ये कैप्सूल उस उल्कापिंड की मिट्टी का सैंपल को अपने साथ लेकर आया है जो कि आज से करीब 159 साल बाद यानी 24 सितंबर 2182 बाद धरती से टकराने वाला है। ये काफी काफी घातक उल्का पिंड है अब अमेरिका ने इस खतरनाक उल्कापिंड का सैंपल धरती पर लाकर (NASA’s OSIRIS-REx Asteroid Sample Return) कमाल दिखा दिया है। बता दें कि इस उल्कापिंड के सैंपल को जांच के लिए लाया गया है। जांच में ये देखा जाएगा कि ये कितना मजबूत है। क्या इसे अंतरिक्ष में ही मिसाइल से तबाह किया जा सकता है या नहीं…

OSIRIS-REx VIDEO

क्या है इस उल्का पिंड का नाम 

अमेरिका बेनू (Bennu) नाम के उल्का पिंड का सैंपल लेकर धरती पर लौटा है। अमेरिका का ये पहला मिशन है जो सफल हुआ है। 3 साल पहले ही यान Bennu से सैंपल ले चुका था और उसके बाद से ही वो धरती की तरफ आने के लिए यात्रा कर रहा था। 45 किलोग्राम के कैप्सूल में 250 ग्राम Bennu का सैंपल है। 643 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करके लौटे इस यान के सफलतापूर्वक धरती पर लैंडिन को लेकर अब खूब चर्चा हो रही है।

काफी घातक है ये उल्का पिंड

अमेरिका का अंतरिक्ष यान जिस उल्का पिंड का सैंपल जांच के लिए लेकर लौटा है वो काफी घातक है। बता दें कि धरती से इसकी टक्कर पर 22 परमाणु बमों के विस्फोट जितनी तबाही मचेगी। इसी तबाही से लोगों को बचाया जा सके इसके लिए नासा ने OSIRIS-ReX मिशन को लॉन्च किया था। मिशन के तहत इस उल्का पिंड की ही मिट्टी को कलैक्ट कर धरती पर लाया गया है। वैज्ञानिक इस उल्का पिंड को मिसाइल से उड़ाने के प्लान में है ताकि तबाही से बचा जा सके। इसके अलावा क्या उल्का पिंड की दिशा को बदला जा सकता है इसकी भी जांच की जानी है।

धरती पर गिरा तो मचेगी तबाही 

इस उल्का पिंड को लेकर इसलिए भी डर है क्योंकि अगर ये धरती पर गिरा तो इससे करीब 10 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा बन जाएगा। जो भी इसकी चपेट में आएगा वहां कुछ नहीं बचेगा। समुद्र में इसके गिरने से तो और भी अधिक तबाही मच सकती है क्योंकि ऐसा होने पर भयंकर सुनामी का सामना करना पड़ेगा।