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India-Bangladesh Relations: बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जारी, अंतरिम सरकार ने भारत से संबंध सुधारने की जताई इच्छा

India-Bangladesh Relations: मोहम्मद तौहीद हुसैन ने यह भी कहा कि अंतरिम सरकार निष्पक्ष शासन व्यवस्था और सुधारों के जरिए जनता की चिंताओं को दूर करने पर काम कर रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सुधारों के बाद राजनीतिक सत्ता निर्वाचित नेताओं को हस्तांतरित कर दी जाएगी।

नई दिल्ली। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस बीच भारत और बांग्लादेश के संबंधों में भी खटास आ गई है। हालांकि, अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत सहित सभी देशों के साथ सम्मान और समानता पर आधारित मजबूत संबंध स्थापित करने की इच्छा जताई है। ‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार के मुताबिक, बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने नरसिंगडी के रायपुरा और बेलाबो उपजिलों में अधिकारियों, पत्रकारों, नेताओं और बुद्धिजीवियों के साथ हुई बैठकों में कहा कि उनकी सरकार भारत के साथ बेहतर संबंधों की इच्छुक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये संबंध आपसी हितों और सम्मान पर आधारित होने चाहिए।

चुनाव को लेकर भी दिया गया बयान

मोहम्मद तौहीद हुसैन ने यह भी कहा कि अंतरिम सरकार निष्पक्ष शासन व्यवस्था और सुधारों के जरिए जनता की चिंताओं को दूर करने पर काम कर रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सुधारों के बाद राजनीतिक सत्ता निर्वाचित नेताओं को हस्तांतरित कर दी जाएगी।

अमेरिका में उठा बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों का मुद्दा

इस बीच, अमेरिकी संसद में भारतीय मूल के सांसद थानेदार ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि इस मामले पर ठोस कार्रवाई की जाए। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में कहा, “बहुसंख्यक भीड़ ने हिंदू मंदिरों, देवी-देवताओं और शांतिपूर्ण तरीके से धर्म का पालन कर रहे हिंदुओं को बर्बाद कर दिया है।” थानेदार ने अमेरिकी सरकार और संसद से अपील की कि बांग्लादेश में हो रहे इन हमलों के खिलाफ तुरंत कदम उठाया जाए।

बढ़ते अत्याचार और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर सवाल

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमलों ने न केवल मानवाधिकारों को लेकर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भारत और बांग्लादेश के ऐतिहासिक संबंधों पर भी असर डाला है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अंतरिम सरकार अपने वादों पर कितनी खरी उतरती है और भारत के साथ संबंध सुधारने में कितनी सफल होती है।