
नई दिल्ली। बांग्लादेश में आरक्षण नीति के खिलाफ लाखों छात्र ढाका में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसके चलते सरकार ने एक बार फिर से कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान फैली हिंसा पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने रविवार, 4 अगस्त 2024 को कहा कि तोड़फोड़ करने वाले लोग छात्र नहीं, बल्कि आतंकवादी हैं और ऐसे तत्वों से सख्ती से निपटने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री हसीना ने कहा, “मैं देशवासियों से इन आतंकवादियों का सख्ती से दमन करने की अपील करती हूं।” ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना ने गणभवन में सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की बैठक बुलाई, जिसमें सेना, नौसेना, वायु सेना, पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी), बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के प्रमुख और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल थे। प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार और गृह मंत्री भी इस मीटिंग में मौजूद थे।
क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन?
बांग्लादेश में मौजूदा समय में छात्र विवादास्पद कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के योद्धाओं के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इस आंदोलन में अब सेना के कुछ पूर्व अधिकारी भी शामिल हो गए हैं।
भारत सरकार की एडवाइजरी
बांग्लादेश में बवाल और हिंसा के बीच भारत ने वहां रह रहे अपने नागरिकों से संपर्क में रहने और सतर्क रहने के लिए कहा है। इसके लिए भारत ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है।
झड़पों में कई लोगों की मौत
प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों के बीच ताजा झड़पों में कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, रंगपुर में चार अवामी लीग समर्थक मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हो गए, जबकि बोगरा और मगुरा में दो-दो लोग मारे गए, जिनमें एक छात्र नेता भी शामिल हैं।