नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के बीच हैदराबाद हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों पड़ोसी देशों के द्विपक्षीय संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत कर दी है। दोनों ही नेताओं ने आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए चर्चा की। दोनों ही नेताओं ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये कहा कि हमारा मानना है कि भारत-श्रीलंका के सुरक्षा और विकास एक दूसरे से जुड़े रहें और इसलिए ये आवश्यक है कि हम एक दूसरे की सुरक्षा और संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए साथ मिलकर काम करें। इस कार्यक्रम का समापन भारत और श्रीलंका के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चार महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर के साथ किया गया।
भारत और श्रीलंका के बीच एक ब्रिज की योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ़ तौर पर ये कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच एक ब्रिज यानि पुल बनाने को लेकर हम विचार कर रहे हैं। ये संभव है या नहीं और कि संभावनाएं इसमें छिपी हैं इसके लिए हम जांच करवा रहे हैं। ये पुल त्रिंकोमाली और कोलंबो बंदरगाहों को जोड़ने का काम करेगा। जिससे समुद्री यात्रा के समय और लागत में काफी कमी आएगी।
Speaking at the press meet with President @RW_UNP. https://t.co/9lirjZ9aXo
— Narendra Modi (@narendramodi) July 21, 2023
व्यापार और कनेक्टिविटी में क्रांति आने की उम्मीद
इस भूमि पुल से व्यापार और कनेक्टिविटी में क्रांति आने की उम्मीद है, जिससे दो प्रमुख बंदरगाहों के बीच माल और लोगों की निर्बाध आवाजाही हो सकेगी। आर्थिक लाभ के अलावा, भूमि पुल सांस्कृतिक संबंधों को भी बढ़ावा दे सकता है। अभी भारत और श्रीलंका के बीच करीबन 5 बिलियन डॉलर का ट्रेड होता है और कई विशेषज्ञ ये मानते हैं कि यदि इस तरह के पुल का निर्माण हो जाता है तो ये व्यापार 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी श्रीलंका में कार्गो भेजने के लिए समुद्री रास्ते का उपयोग होता है जो काफी ज्यादा कॉस्टली होता है। लेकिन ये पुल बनते ही खर्चा 50% तक कम हो जाएगा। जाहिर तौर पर इससे दोनों देशों को बड़ा लाभ मिलेगा। और गौर करने वाली बात तो ये भी है कि श्रीलंका भारत से ही सबसे ज्यादा इम्पोर्ट करता है इसलिए ये भारतीय इकोनॉमी को भी बूस्ट देगा।
भूमि पुल का विचार बिल्कुल नया नहीं
लेकिन आपको बता दें कि भारत और श्रीलंका के बीच भूमि पुल का विचार बिल्कुल नया नहीं है। इस अवधारणा पर दशकों से चर्चा हो रही है, कुछ सालों पहले हमारे सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दोनों देशों के बीच एक पुल बनाए जाने का आईडिया रखा था। लेकिन तब श्रीलंका के जो सड़क परिवहन मंत्री थे उन्होंने चीन के प्रभाव में आकर इसको सिरे से नकार दिया था। लेकिन आज जब भारत श्रीलंका के मुश्किल समय में काम आया है तो हालात अलग हैं। आज वो खुद इस समझौते के लिए तैयार हैं।
Sri Lanka is key to our Neighbourhood First and SAGAR efforts: PM Modi
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— ANI Digital (@ani_digital) July 21, 2023
बायलेटरल ट्रेड में वृद्धि होगी
ऐसी परियोजना के संभावित लाभ कई गुना हैं। सबसे पहले, यह भारत और श्रीलंका के बीच परिवहन और व्यापार संबंधों में अभूतपूर्व रूप से सुधार करेगा, जिससे बायलेटरल ट्रेड में काफी वृद्धि होगी। वर्तमान में, दोनों देशों के बीच अधिकांश वयापार शिपिंग के जरिए होता है। जिससे देरी भी होती है और काफी खर्च भी आता है। एक भूमि पुल होने से ये लागत भी कम होगी, समय भी कम होगा और आवाजाही में तेजी भी आएगी।
हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का दिखेगा दम
अपने पडोसी देशों में यदि पाकिस्तान और चीन को छोड़ दें तो ज्यादातर देशों के साथ भारत के बेहद ही शानदार संबंध हैं। अगर इस पुल का निर्माण होता जाता है तो यह हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा और समुद्री सुरक्षा और सहयोग को बढ़ाते हुए श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करेगा। श्रीलंका के लिए भी यह परियोजना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।
भारत की स्थिति बिम्सटेक में भी होगी मजबूत
इसके साथ ही इस पुल का निर्माण होने से भारत की स्थिति बिम्सटेक में भी मजबूत होगी। इस ग्रुप का लक्ष्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक सहयोग, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है। इस पुल के निर्माण से न सिर्फ भारत और श्रीलंका के बीच व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी बल्कि एक दुसरे के पर्यटन सेक्टर पर भी पॉजिटिव इंपैक्ट पड़ेगा। इसके साथ ही ये बिम्सटेक देशों के पर्यटन को भी बूस्ट देगा।