वॉशिंगटन। चांद पर फिर पहुंचने की होड़ देशों के बीच लगी है। भारत का चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतर चुका है। अमेरिका, जापान और चीन भी चांद के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं। चीन और जापान अपने यान चांद पर उतार चुके हैं। वहीं, इंसान को पहली बार चंद्रमा पर भेजने वाला अमेरिका एक बार फिर अपने अंतरिक्ष यात्री वहां उतारने की तैयारी कर रहा है। इन सबके बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने बड़ा सनसनीखेज दावा किया है। नासा प्रमुख बिल नेल्सन का दावा है कि चीन अंतरिक्ष में गुप्त सैन्य कार्यक्रम चला रहा है। चीन का इरादा चांद पर दावा ठोकने का है।
बिल नेल्सन का कहना है कि चीन इस बारे में अभी जानकारी छिपा रहा है। नेल्सन पहले भी कह चुके हैं कि चीन ने दक्षिणी चीन सागर इलाके में जिस तरह का व्यवहार किया, उससे साफ हो जाता है कि अंतरिक्ष में कैसा व्यवहार वो करेगा। नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा कि चीन लगातार कहता है कि अंतरिक्ष में उसकी गतिविधियां वैज्ञानिक हैं। उसका इरादा अतिक्रमण का नहीं है, लेकिन चीन के इरादे कुछ और लगते हैं। बीते मार्च में ही चीन ने चांद पर डिज्नीलैंड जितना बड़ा बेस बनाने का एलान किया था। अमेरिका भी चांद पर बेस बनाने की तैयारी कर रहा है। बिल नेल्सन ने कहा कि चीन के तौर-तरीकों से लगता है कि वो चांद के एक हिस्से पर कब्जा करना चाहता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका भी 2030 तक आर्टेमिस यान के जरिए चांद पर अंतरिक्ष यात्री उतारने की तैयारी में है।
अमेरिका का पहला आर्टेमिस यान 2026 में प्रक्षेपित किया जाएगा। नेल्सन का कहना है कि चांद पर अगर चीन पहले बेस बना लेता है, तो वो वहां के कुछ हिस्सों पर दावा कर सकता है। चीन लगातार अंतरिक्ष में ताकत बढ़ा रहा है। उसने दर्जनों सैन्य उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे हैं। ताकतवर रॉकेट बनाए हैं और पिछले कुछ साल में अरबों डॉलर अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में झोंका है। नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने चीन और चांद को लेकर अब जो आशंका जताई है, वो अगर सच साबित होती है, तो अंतरिक्ष में चीन और बाकी देशों के बीच टकराव होने के आसार बढ़ेंगे। जबकि, अंतरराष्ट्रीय समझौता है कि अंतरिक्ष पर सभी देशों का समान अधिकार है।