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चीनी वैज्ञानिकों का दावा, बिना वैक्सीन ही खत्म होगा कोरोना

कोरोनावायरस के कारगर इलाज के लिए वैक्सीन निर्माण को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस जानलेवा महामारी की वैक्सीन बनने में 12 से 18 महीने लग सकते हैं।

नई दिल्ली। कोरोनावायरस के इलाज को लेकर चीन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चीन की लैब में कोरोना को रोकने के लिए ऐसी दवा बनाई जा रही है जो कोरोनावायरस के इलाज में काफी कारगर साबित होगी। जानकारी के मुताबिक इस दवा का परीक्षण चीन के प्रतिष्ठित पेकिंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है।

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इस दवा को लेकर शोधकर्ताओं का दावा है कि ये दवा संक्रमित मरीजों को जल्दी ठीक कर सकती है। यूनिवर्सिटी एडवांस्ड इनोवेशन सेंटर फॉर जीनोमिक्स के निदेशक सुनीनी झी ने अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी AFP को बताया कि यह दवा पशुओं पर किए परीक्षण में सफल रही है। झी ने कहा, ‘जब हमने संक्रमित चूहों में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी इंजेक्ट किया, तो पांच दिनों के बाद वायरल लोड 2500 गुना तेजी से कम हो गया। इसका मतलब है कि इस संभावित दवा में इलाज करने की क्षमता है।’

यह दवा न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का इस्तेमाल कर संक्रमण को खत्म करती है। कोशिकाओं को वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए इम्यून सिस्टम न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का उत्पादन करता है। झी की टीम ने बीमारी से ठीक हो चुके 60 मरीजों के खून से न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी अलग किया।

इस दवा के तैयार होने को लेकर झी ने उम्मीद जताई कि यह दवा इस साल के अंत तक, ठंड में वायरस के दोबारा होने वाले संभावित प्रकोप से पहले आम लोगों के इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगी। झी ने कहा, ‘इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल कराने की योजना चल रही है। चीन में कोरोना के घटते मामलों की वजह से यह ट्रायल ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में किया जाएगा। यह ट्रायल गिनी पिग पर करने की पेशकश की गई है।

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आपको बता दें कि कोरोनावायरस के कारगर इलाज के लिए वैक्सीन निर्माण को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस जानलेवा महामारी की वैक्सीन बनने में 12 से 18 महीने लग सकते हैं। इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने प्लाज्मा थेरेपी को भी कोरोना के इलाज में कारगर बताया है।