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Pervez Musharraf: मुशर्रफ को शांति दूत बताकर घिरे कांग्रेस सांसद शशि थरूर, भड़के यूजर्स ने दिलाई करगिल युद्ध में पाक तानाशाह के हाथ की याद

Pervez Musharraf: नवाज शरीफ उन्हें उनकी काबिलियत को देखते हए सेना का प्रमुख भी बनाया था, लेकिन उन्होंने नवाज शरीफ की सत्ता का ही तख्तापलट कर दिया और खुद अपने हाथों में पाकिस्तानी की कमान संभाल ली। जिसके बाद नवाज शरीफ को पाकिस्तान छोड़कर जाना पड़ गया।

नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का निधन हो गया। उन्होंने दुबई में अंतिम सांस ली। वे अमाइलॉइडोसिस नामक बीमारी से जूझ रहे थे। इस बीमारी में मरीज के अंग काम करना बंद कर देते हैं। पिछले वर्ष यानी की साल 2022 में परवेज के परिवारवालों ने एक वीडियो जारी किया था। जिसमें परवेज चलने-फिरने में असमर्थ नजर आ रहे थे। लंबे समय से वे दुबई के अस्पताल में उपचाराधीन थे। ध्यान रहे कि इससे पहले भी उनके निधन की खबर आई थी, लेकिन वो महज अफवाह थी, मगर इस बार परवेज के निधन की पुष्टि खुद उनके परिवारवालों ने की है। आइए, आपको परवेज से जुड़ी कुछ बातों के बारे में बताते हैं।

परवेज का जन्म अविभाजित भारत की राजधानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में हुआ था, लेकिन आजादी के बाद उनके परिजनों ने पाकिस्तान को चुना। 21 साल की उम्र में परवेज पाकिस्तानी आर्मी में बतौर जूनियर ऑफिसर शामिल हुए थे। इसके बाद उन्होंने 1965, 1971 और 1999 का करगिल युद्ध भारत के खिलाफ लड़ा था, लेकिन तीनों ही युद्धों में उन्हें पराजय मिली थी। इसके बावजूद पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें बहादुरी से लड़ने के लिए ना महज सम्मानित किया था, बल्कि प्रोन्नत भी किया था। एक बार उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि करगिल को हथियाना उनका सपना था, लेकिन वे नवाज शरीफ की वजह से ऐसा नहीं कर सकें।

बता दें कि नवाज शरीफ ने उन्हें उनकी काबिलियत को देखते हए सेना का प्रमुख भी बनाया था, लेकिन उन्होंने नवाज शरीफ की सत्ता का ही तख्तापलट कर दिया और खुद अपने हाथों में पाकिस्तानी की कमान संभाल ली। जिसके बाद नवाज शरीफ को पाकिस्तान छोड़कर जाना पड़ गया। वहीं, परवेज ने अपने कार्यकाल के दौरान अपना असली रूप दिखा ही दिया। उन्होंने आजादी की मांग करने वालों पर बहुत जुल्म-ओ- सितम किए थे। उन्होंने आजादी की मांग करने वाले कई बलूचों को मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद अमेरिका ने उन्हें वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की थी। इसके बाद परवेज मुशर्रफ ने 2016 में पाकिस्तान छोड़ दिया था। उनके खिलाफ बाद में राजद्रोह का भी केस चला था। बता दें कि यह सबकुछ पाकिस्तान में मार्शल लॉ की घोषणा के बाद हुआ था। 2013 में उनकी अंतराराष्ट्रीय यात्राएं प्रतिबंधित कर दी गई थी। कई लोगों का दावा है कि वे अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ध्यान में रखते पाकिस्तान छोड़कर भागे थे। आगे हम आपको उनके पारिवारिक जीवन के बारे में भी विस्तार से बताएंगे, लेकिन उससे पहले आइए जरा परवेज मुशर्रफ के निधन पर भारत में क्यों सियासी बवाल शुरू हो गया। ये बता देते हैं।

तो बतौर पाठक अब परवेज मुशर्रफ से जुड़ी पृष्ठिभूमि के बारे में आपको पता लग गया। आपको यह भी जानकारी मिल गई कि परवेज भारत के खिलाफ तीन मर्तबा युद्ध लड़ चुके थे, लेकिन तीनों ही बार उन्हें भारतीय सेना से मुंह की खानी पड़ी थी। अब ऐसी स्थिति में अगर कोई भारतीय परवेज मुशर्रफ को ‘शांति का दूत’ बता डाले, तो आप ही बताइए कि आपको यह जानकर झटका लगेगा कि नहीं। जी हां… आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने परवेज मुशर्रफ के निधन के बाद उन्हें शांति का दूत बता दिया। थरूर ने ट्वीट कर कहा कि परवेज मुशर्रफ, पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति, दुर्लभ बीमारी से ग्रसित थे “। एक बार भारत के एक कट्टर दुश्मन, वह 2002-2007 में शांति के लिए एक वास्तविक ताकत बन गए। उन दिनों मैं उनसे सालाना मुलाकात करता था un और उन्हें अपनी रणनीतिक सोच में स्मार्ट, आकर्षक और स्पष्ट पाया।

वहीं, एक भारतीय राजनेता का परवेज मुशर्रफ के संदर्भ में किया गया इस तरह का ट्वीट लोगों को नहीं सुहा रहा है। लिहाजा अब वे परवेज की क्लास लगाते हुए नजर आ रहे हैं। आइए, आगे हम आपको कुछ ऐसे ही रोषयुक्त प्रतिक्रियाएं दिखाते हैं।