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Covid Rising Again: फिर सिर उठाती दिख रही कोविड की महामारी!, सिंगापुर में हजारों की संख्या में कोरोना के मरीज

सिंगापुर सरकार ने कोरोना के मामले लगातार बढ़ते देखकर लोगों को मास्क पहनने के लिए कहा है। जो कोरोना ग्रस्त नहीं हैं, उनको भी मास्क पहनने की सलाह दी गई है। बुजुर्गों के लिए कहा गया है कि उनके साथ जो लोग रहते हैं, वे भी मास्क पहनें। सिंगापुर सरकार ने अपने यहां एक्सपो हॉल में बिस्तर लगाने का फैसला किया है।

सिंगापुर। कोरोना यानी कोविड की महामारी एक बार फिर सिर उठाती दिख रही है। एशिया के देश सिंगापुर में कोरोना की वजह से मरीजों की संख्या 56000 के पार चली गई है। सिंगापुर में कोरोना के ये आंकड़े पिछले हफ्ते के हैं। उससे पहले मरीजों की संख्या 32000 थी। इस तरह पिछले हफ्ते कोरोना के मामले सिंगापुर में 75 फीसदी बढ़ गए हैं। इसकी वजह से सिंगापुर में सरकार काफी गंभीर है। अपने देश भारत की बात करें, तो यहां भी कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ी है। भारत में शुक्रवार को कोरोना के 312 नए मरीज मिले हैं। इनमें से 280 मरीज केरल के हैं। ये सभी मरीज गंभीर लक्षणों वाले नहीं हैं।

अब बात सिंगापुर की कर लेते हैं। सिंगापुर सरकार ने कोरोना के मामले लगातार बढ़ते देखकर लोगों को मास्क पहनने के लिए कहा है। जो कोरोना ग्रस्त नहीं हैं, उनको भी मास्क पहनने की सलाह दी गई है। बुजुर्गों के लिए कहा गया है कि उनके साथ जो लोग रहते हैं, वे भी मास्क पहनें। सिंगापुर सरकार ने अपने यहां एक्सपो हॉल में बिस्तर लगाने का फैसला किया है। इसके अलावा क्राफोर्ड हॉस्पिटल में भी मरीजों का इलाज पहले से ही चल रहा है। जानकारी के मुताबिक सिंगापुर में हर रोज 225 और 350 के बीच नए कोरोना मरीज आ रहे हैं। आईसीयू में हर रोज औसतन 4 से 9 मरीज भर्ती हो रहे हैं। ज्यादातर मरीजों को कोविड का जेएन.1 वैरिएंट से बीमारी हुई है। ये वैरिएंट बीए.2.86 से जुड़ा है।

Coronavirus.

उधर, चीन में भी कोरोना के जेएन.1 वैरिएंट से बीमार लोग मिले हैं। चीन की सरकार का कहना है कि जेएन.1 वैरिएंट के 7 मरीज मिले हैं। चीन का कहना है कि इस वैरिएंट से लोगों के बड़े पैमाने पर बीमार होने का खतरा काफी कम है। इस वैरिएंट को ज्यादा फैलने वाला नहीं माना जा रहा है। जेएन.1 वैरिएंट सबसे पहले लक्जेमबर्ग में मरीज में मिला था। फिर इसके मरीज अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और आइसलैंड में भी मिले थे। बता दें कि चीन से ही कोरोना 2019 में फैला था। इससे दुनिया में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।