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भारत द्वारा बनाए जा रहे इस हथियार से छूट जाएंगे पाकिस्तान और चीन के पसीने

क्या भविष्य में होनेवाले युद्ध सच में फिल्मों में दिखाए जानेवाले युद्धों की तरह ही होंगे? तो आपको बता दें कि डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) भविष्य के युद्ध के लिए वैसे ही हथियार बना रहा है।

नई दिल्ली। क्या भविष्य में होनेवाले युद्ध सच में फिल्मों में दिखाए जानेवाले युद्धों की तरह ही होंगे? तो आपको बता दें कि डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) भविष्य के युद्ध के लिए वैसे ही हथियार बना रहा है। इन युद्धों के लिए डीआरडीओ लेजर और बीम पर आधारित हथियार निर्माण कर रहा है जो आपने स्टार वॉर जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी देखा होगा। इतना ही नहीं जिसके हमले से पड़ोसी दुश्मन भी देश कांप उठेंगे। भारत पर हमला करने से पहले ही उनके पसीने छूट जाएंगे। बता दें कि कोरोना काल में भी पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान की नापाक साजिशें लगातार जारी है। ऐसे में ड्रैगन और पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार लगातार कड़े कदम उठा रही है।

laser

मिली जानकारी के मुताबिक, डीआरडीओ डायरेक्ट एनर्जी वेपन (Direct Energy Weapon – DEW) बनाने में जुटा है। इसके लिए हाई एनर्जी लेजर (High Energy Laser) और हाईपावर माइक्रोवेव्स (High Power Microwaves) का इस्तेमाल किया जाएगा। इनके अलावा ऐसे हथियार भी बनाए जा रहे हैं जो माइक्रोवेव किरणें छोड़कर दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक, रेडियो सिस्टम, संचार सिस्टम आदि को नष्ट कर देंगे। संचार की कमी और कमांड न दे पाने की स्थिति में दुश्मन बेहद कमजोर हो जाता है। इससे उसपर हमला करना आसान हो जाता है।

Drdo

इन हथियारों को बनाने के लिए भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय स्तर का प्रोग्राम बनाया है। इसमें अलग-अलग तरह के DEW हथियार होंगे। जिनकी क्षमता 100 किलोवॉट पावर की होगी। यानी ये हथियार देश पर दुश्मन की तरफ से आने वाली किसी भी छोटी मिसाइल या फाइटर जेट या ड्रोन को आसमान में नष्ट कर देंगे। इस प्रोजेक्ट को नाम दिया गया है ‘काली’ बीम। खास बात ये है कि लेजर बीम हमले में न तो आवाज होती है न ही किसी तरह धूम-धड़ाका।

Direct Energy Weapon

हालांकि इन हथियारों को पूरा होने में कितना समय लगेगा, ये कहना अभी मुश्किल है। पिछले दिनों भारत ने दो एंटी ड्रोन DEW सिस्टम बनाए थे। इनकी टारगेट रेंज एक से दो किलोमीटर है। हालांकि, ये स्वदेशी हथियार यूएस, रूस, चीन, जर्मनी, इजरायल की तुलना में अभी बेहद छोटे हैं। इनकी मदद से एक से ज्यादा ड्रोन, वाहन या नावों को नष्ट किया जा सकता है।

डीआरडीओ ने भविष्य की जरूरतों को देखते हुए अगले 10 साल की योजना तैयार की है। पहले फेज में ऐसे हथियारों की रेंज को 6-8 किलोमीटर, फिर दूसरे फेज में 20 किलोमीटरतक बढ़ाने की तैयारी है ।