![अब पाकिस्तान में कृष्ण मंदिर के खिलाफ फतवा जारी, कहा- इस्लाम नहीं देता इजाजत](https://hindi.newsroompost.com/wp-content/uploads/2020/07/pak-hindu-mandir.png)
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहला हिन्दू मंदिर बनाए जाने से पहले ही बवाल शुरू हो गया है। कई धार्मिक संस्थाओं ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे इस्लाम विरोधी करार दिया। बता दें कि एक हफ्ते पहले ही इस मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी गई थी। जिसके लिए इमरान खान सरकार ने 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी।
अब इस्लामी शिक्षा देने वाली संस्था जामिया अशर्फिया मदरसा के एक मुफ्ती ने इस कृष्ण मंदिर खिलाफ फतवा जारी कर दिया है। इस फतवे में कहा गया है कि इस्लाम नए मंदिर बनने की इजाजत नहीं देता और ये मदीना का अपमान होगा। बता दें कि मंदिर का निर्माण रोकने के लिए एक वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है।
Particiapted in ground breaking ceremony of #Kirshna #temple at Islamabad H-9 sector, organized by #Hindu Panchayat Isb. It will be first ever temple in #Islamabad since centuries. The govt provided 4 canals of land for construction of temple. Long live Pakistan.@SMQureshiPTI pic.twitter.com/ucd9Umocb9
— LAL MALHI (@LALMALHI) June 23, 2020
दरअसल, कुछ दिनों पहले इस्लामाबाद कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने एक कृष्ण मंदिर बनाने के लिए 20 हजार स्क्वायर फीट जमीन दान में दी थी और खुद प्रधानमंत्री इमरान खान ने लोगों को इसकी सूचना भी दी थी। इस मंदिर निर्माण के लिए 23 जून को सांसद और मानवाधिक मामलों के संसदीय सचिव लाल चंद माल्ही को नियुक्त किया गया था। पाकिस्तान सरकार ने यह जमीन इस्लामाबाद की हिंदू पंचायत को सौंप दी है और इमरान खान ने मंदिर निर्माण के प्रथम चरण में 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी की है। पीएम के इस कदम के बाद लाल चंद माल्ही ने ट्वीट करके कहा था, ”यह इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर होगा। सरकार ने मंदिर के निर्माण के लिए जमीन दी है। पाकिस्तान जिंदाबाद।”
Today in India we are seeing the Nazi-inspired RSS ideology take over a nuclear-armed state of over a billion people. Whenever a racist ideology based on hatred takes over, it leads to bloodshed.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) February 26, 2020
भड़के कट्टरपंथी मौलाना
इमरान के दान का ऐलान करने बाद कट्टरपंथी मौलानाओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक फतवा जारी करने वाली संस्था जामिया अशर्फिया लाहौर की देवबंदी इस्लामिक संस्था है। जामिया अशर्फिया के प्रवक्ता के अनुसार मंदिर निर्माण के खिलाफ फतवा मुफ्ती मुहम्मद जकारियाने दिया है। इस फतवे में मुहम्मद जकारिया ने कहा है कि इस्लाम में अल्पसंख्यकों के धर्मस्थलों की देखभाल करना और उन्हें चलाना तो ठीक है लेकिन नए मंदिरों और नए धर्मस्थलों के निर्माण की इजाजत इस्लाम नहीं देता है, ये सरासर गलत है।