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India and China: अमेरिका और चीन को लेकर छिड़े विवाद के बीच भारत ने ड्रैगन को लगाई फटकार, दे दी ऐसी चेतावनी, जानें पूरा माजरा

America and China: बीते दिनों इस पूरे विवाद को लेकर पूरी धड़ों में बंटी हुई नजर आई थी, जिसमें एक धड़ा चीन के पक्ष में नजर आया तो दूसरा धड़ा  ताइवान के पक्ष में रहा है। जहां रुस ने चीन का समर्थन किया तो वहीं दूसरी तरफ  अमेरिका और ब्रिटेन सरीखे मुल्क ताइवान के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या कुछ रुख अख्तियार करता है।

नई दिल्ली। बीते दिनों अमेरिका ने जिस तरह ड्रैगन के फरमानों की धज्जियां उड़ाई है, उसके बाद से शी जिनपिंग के होश उड़े हुए हैं। उन्हें ऐसा लगा रहा है कि किसी ने उन्हें भरी सभा में तमाचा जड़ दिया हो। उन्हें यह महसूस हो रहा है कि किसी ने उन्हें भरी महफिल में बेआबरू कर दिया हो। अब वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी ना कि खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे। जी…कुछ ऐसा ही हाल बीते कुछ दिनों से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का है। बीते दिनों जिस तरह से चीन के मना किए जाने के बावजूद भी अमेरिका ने अपनी स्पीकर नैंसी पेलोसी को ताइवान भेजा, उसके बाद जिनपिंग चिढ़े हुए हैं। अब उनका चिड़ना लाजिमी है, क्योंकि अमेरिका ने उन्हें यह एहसास दिला दिया है कि  अगर समय रहते उसने अपनी विस्तारवादी नीतियों पर लगाम नहीं लगाया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से गुरेज नहीं किया जाएगा। अब अमेरिका और चीन के बीच जारी विवाद के बीच भारत की प्रतिक्रिया भी सामने आई है, लेकिन यह प्रतिक्रिया उपरोक्त विवाद के संदर्भ में नहीं आई है, लेकिन जिस वक्त यह प्रतिक्रिया सामने आई है, वह वक्त और समय इस विषय की प्रासंगिकता को बढ़ाता हुआ नजर आ रहा है।

china and india

दरअसल, भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में चीन को साफ चेता दिया है कि वह लद्दाख की सीमाओं से लड़ाकू विमान हटा दें। अगर चीन ने ऐसा नहीं किया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भारत ने यह प्रतिक्रिया बाकायदा एक बैठक में दी है, जिसमें कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है। बैठक में  बाकायदा भारतीय वायुसेना के कमांडर भी मौजूद रहे। यह बैठक मंगलवार को चुंशूल मोल्डो में हुई। इस दौरान एयर चीफ मार्शल वीर आर चौधरी ने कहा कि एलएसी  के पार सभी गतिविधियों पर विशेष नजर रखी जा रही है। भारत की तरफ से भी लड़ाकू विमानों के तैनात किए जाने की खबर प्रकाश में आई है। भारत ने  चीन के तमाम नापाक कदमों का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में अब आगामी दिनों में देखना होगा कि चीन का अगला  कदम क्या रहता है। हालांकि, अभी तक भारत  की तरफ से दिए गए उपरोक्त बयान पर चीन की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

आपको बता दें कि बीते दिनों इस पूरे विवाद को लेकर पूरी दुनिया दो धड़ों में बंटी हुई नजर आई थी, जिसमें एक धड़ा चीन के पक्ष में नजर आया तो दूसरा धड़ा  ताइवान के पक्ष में। जहां रुस ने चीन का समर्थन किया तो वहीं दूसरी तरफ  अमेरिका और ब्रिटेन सरीखे मुल्क ताइवान के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या कुछ रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। ध्यान रहे कि ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है। लेकिन, ताइवान खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानता है, वो किसी दूसरे का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता है। इस बीच जैसे ही अमेरिकी सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी  ने ताइवान दौरे पर भेजा गया, तो चीन को मिर्ची लग गई।

बता दें कि 25 साल बाद किसी अमेरिकी सभा की स्पीकर ने ताइवान दौरे का ऐलान किया है, जिसे लेकर अभी पूरी दुनिया में विवाद देखने को मिल रहा है। ध्यान रहे कि कई मौकों पर ताइवानी चीन द्वारा खुद पर हक जमाने का विरोध कर चुके हैं,  लेकिन विश्व बिरादरी में भी बहुत कम ही ऐसे देश हैं, जो ताइवान को एक अलग मुल्क मानते हैं। बहरहाल, इस पूरे विवाद के बाद कई देश सामने आकर ताइवान को अलग मानने की भी पैरोकारी कर रहे हैं। इसके अलावा नैंसी पेलोसी के दौरे को लेकर भी ताइवान में दो गुटों के लोग नजर आ रहे हैं। जहां कुछ लोग नैंसी  पेलोसी के दौरे की आलोचना कर रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग उनके दौरे की तारीफ भी कर रहे हैं। अब ऐसे में यह पूरा विवाद आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।