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अगर चीन ने की भारत के साथ युद्ध लड़ने की हिमाकत तो इन देशों की सेनाओं का भी करना पड़ेगा उसे मुकाबला

पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में तनाव का माहौल बना हुआ है। बता दें कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच 45 साल में पहली बार सीमा पर हिंसक झड़प हुई। जिसके बाद सीमा पर तनाव कापी बढ़ गया है।

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में तनाव का माहौल बना हुआ है। बता दें कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच 45 साल में पहली बार सीमा पर हिंसक झड़प हुई। जिसके बाद सीमा पर तनाव कापी बढ़ गया है। ऐसे में 58 साल बाद एक बार फिर भारत-चीन के बीच जंग जैसे हालात बनते दिख रहे हैं। लेकिन चीन इस बार भारत से युद्ध लड़ने की हिमाकत नहीं कर सकता है।

India china army

लेकिन यदि ऐसा होता है तो दुनिया के कौन से देश भारत का साथ दे सकते हैं? और कौन से देश चीन का? दुनियाभर के स्ट्रैटजिक एक्सपर्ट्स भारत का पलड़ा भारी बता रहे हैं। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ट्वीट कर भारतीय शहीदों के परिवारों के साथ संवेदना जताई है। वहीं भारत में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फ्रेल ने भी भारत के संयम की सराहना की है। बता दें कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, दोनों ही देश क्वॉड ग्रुप का हिस्सा हैं। भारत और जापान भी ग्रुप का हिस्सा हैं। दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि चीन के साथ युद्ध के हालात बनते हैं, तो क्वॉड देश सबसे पहले भारत की मदद के लिए आगे आ सकते हैं।

जानिए क्या है क्वॉड ग्रुप?

2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस ग्रुप को बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने समर्थन दिया था। हालांकि, 10 साल तक तो ये निष्क्रिय ही रहा, लेकिन 2017 के बाद से चारों देशों की लगातार बैठकें हो रही हैं।

quad group

क्वॉड ग्रुप में शामिल सभी चारों देशों की एक ही चिंता है और वो है चीन का बढ़ता दबदबा। खासकर, उसकी विस्तारवादी नीति। यहां ये भी ध्यान रखना होगा कि क्वॉड कोई मिलिट्री अलायंस नहीं है। इसके बावजूद अगर चीन किसी को नुकसान पहुंचाता है, तो चारों देश साथ आ सकते हैं।

अमेरिका

भारत और अमेरिका के बीच 2002 में जनरल सिक्युरिटी ऑफ मिलिट्री इन्फोर्मेशन एग्रीमेंट हुआ था। इसमें तय हुआ था कि जरूरत पड़ने पर दोनों देश एक-दूसरे से मिलिट्री इंटेलिजेंस साझा करेंगे। पिछले 12 साल में ही भारत ने अमेरिका से 18 अरब डॉलर (1.36 लाख करोड़ रुपए) के हथियार खरीदे हैं।

Trump And Modi

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे से पहले ही भारत ने 2.6 अरब डॉलर (19 हजार 760 करोड़ रुपए) की लागत से 24 एमएच 60आर मल्टीरोल हेलीकॉप्टर खरीदने की डील को मंजूरी दी है। इतना ही नहीं, चीन को काउंटर करने के लिए ही ट्रम्प ने 2016 में भारत को ‘डिफेंस पार्टनर’ का दर्जा दिया था।

ऑस्ट्रेलिया

भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच डिफेंस रिलेशन सालों पुराने हैं। आजादी से पहले भी दोनों विश्व युद्ध में भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई सैनिक साथ लड़े थे। आजादी के बाद 1962 में जब भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ, उस समय भी ऑस्ट्रेलिया ने भारत को सैन्य सहायता दी थी।

pm modi and scott morrison

इतना ही नहीं, हर दो साल में दोनों देशों की नौसेनाएं हिंद महासागर में एक्सरसाइज करती हैं, जिसे ऑसइंडेक्स (AUSINDEX) कहते हैं। इन सबके अलावा भारत-चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवाद है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया खुलकर अरुणाचल को भारत का हिस्सा मानता है।

जापान

भारत और जापान के बीच भी काफी करीबी डिफेंस रिलेशन हैं। दोनों देशों के बीच अक्टूबर 2008 में एक सुरक्षा समझौता भी हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री डकैती जैसी घटनाओं को रोकने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

Narendra Modi & Shinzo Abe 1

दोनों देशों की बीच इस तरह संबंध हैं कि दुनिया में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे को ‘इंडोफाइल’ भी कहा जाता है। यानी ऐसा व्यक्ति, जो भारत के साथ हमेशा खड़ा है। भारत, जापान और अमेरिका की नौसेनाएं मालाबार में एक साथ एक्सरसाइज भी करती हैं।

इजरायल 

सितंबर 1968 में जब भारत में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ का गठन हुआ, तब इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने काफी सहयोग किया था। उसके बाद 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध और 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भी इजरायल ने भारत को आधुनिक हथियार दिए थे।

पिछले साल पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने जिन स्पाइस-2000 बमों से मुजफ्फराबाद, चकोटी और बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी, वो स्पाइस-2000 बम इजरायल से ही आए थे।

फ्रांस 

1998 में भारत ने पोखरण में जब न्यूक्लियर टेस्ट किया, तो कई देशों ने इसकी आलोचना की, लेकिन फ्रांस ने इसे भारत की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया था। उसके बाद 1998 से दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर, स्पेस, काउंटर-टेररिज्म, साइबर सिक्योरिटी जैसे मुद्दों पर बातचीत होने लगी। 2001 से दोनों देशों की नौसेनाएं, 2004 से वायुसेनाएं और 2011 से थल सेनाएं एक्सरसाइज कर रही हैं।

Narendra Modi and Emmanuel Macron

2016 में भारत ने फ्रांस की सरकार और डसॉल्ट एविएशन के साथ 6 खरब रुपए की लागत से 36 राफेल खरीदने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। जल्द ही भारत को राफेल विमानों की पहली खेप मिलने भी वाली है।