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Shangri-La Dialogue Singapore : सिर्फ भारत ही नहीं बदला, रणनीति भी बदली है, शांग्री-ला डायलॉग में पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए बोले सीडीएस जनरल अनिल चौहान

Shangri-La Dialogue Singapore : भारत की 2014 की कूटनीतिक पहल का जिक्र करते हुए सीडीएस ने याद दिलाया जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। सीडीएस बोले, लेकिन ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है। अगर हमें बदले में केवल शत्रुता मिलती है, तो अभी के लिए अलगाव ही एक अच्छी रणनीति हो सकती है।

नई दिल्ली। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में आयोजित 22वें शांग्री-ला डायलॉग कार्यक्रम में आतंकवाद के समर्थन को लेकर पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया। उन्होंने कहा, अब भारत-पाकिस्तान संबंधों पर, हम बिना किसी रणनीति के काम नहीं कर रहे हैं। भारत की 2014 की कूटनीतिक पहल का जिक्र करते हुए सीडीएस ने याद दिलाया जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। सीडीएस बोले, लेकिन ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है। अगर हमें बदले में केवल शत्रुता मिलती है, तो अभी के लिए अलगाव ही एक अच्छी रणनीति हो सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब सिर्फ भारत नहीं बदला, बल्कि भारत की रणनीति भी बदल गई है।

जनरल चौहान ने आगे कहा कि जब भारत आजाद हुआ तो पाकिस्तान हर मामले में हमसे आगे था चाहे वो सामाजिक, आर्थिक मुद्दा हो या प्रति व्यक्ति जीडीपी। आज, भारत हमारी अधिक विविधता के बावजूद, सभी मोर्चों, आर्थिक प्रदर्शन, मानव विकास और सामाजिक सद्भाव में भारत बहुत आगे है। यह महज एक संयोग नहीं है, यह भारत की दीर्घकालिक रणनीति का नतीजा है। हिंद और प्रशांत क्षेत्र में भारत की स्थिति पर सीडीएस बोले, हमारी भू-राजनीतिक वास्तविकता का मतलब है कि हम राजनीतिक रूप से मध्य और पश्चिम एशिया से जुड़े हुए हैं, लेकिन भौगोलिक रूप से कटे हुए हैं इसलिए, समुद्र ही हमारा एकमात्र मार्ग है।

सीडीएस अनिल चौहान ने शांग्री-ला डायलॉग में दुनिया के विभिन्न देशों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों और नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की। बता दें कि शांग्री-ला डायलॉग एशिया का प्रमुख रक्षा मंच है। इसका आयोजन लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ के द्वारा वर्ष 2002 से किया जा रहा है। शांग्री-ला डायलॉग में 47 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है। 2019 के बाद पहली बार है चीन ने अपने रक्षा मंत्री को शांग्री-ला डायलॉग में नहीं भेजा है।