
न्यूयॉर्क। यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान राजधानी कीव से 60 किलोमीटर दूर बुका में नागरिकों की कथित तौर पर हत्या के मामले ने गंभीर रूप ले लिया है। इस मामले में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलिंस्की ने संयुक्त राष्ट्र से रूस को बाहर निकालने की मांग करते हुए उसे नरसंहार का दोषी बताया है। रूस ने कहा है कि बुका में उसने कोई नरसंहार नहीं किया। वहीं, भारत ने पहली बार यूक्रेन के मसले पर रूस का नाम लिए बगैर उसे आड़े हाथ लिया। भारत के स्थायी दूत टीएस तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद की बैठक में बुका मामले को उठाते हुए इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है।
In the recent UN Security Council meeting on #Ukraine️, I made the following statement ⤵️ pic.twitter.com/d4FZvKv06L
— PR/Amb T S Tirumurti (@ambtstirumurti) April 5, 2022
तिरुमूर्ति ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि यूक्रेन विवाद पर पिछली बार चर्चा किए जाने के बाद हालात में कोई सुधार नहीं हुआ। वहां सुरक्षा की स्थिति न सिर्फ खराब हुई है, बल्कि मानवीय स्थिति भी बिगड़ी है। हाल ही में बुका में नागरिकों की हत्या की घटना की हम निंदा और इसकी स्वतंत्र जांच कराने की मांग करते हैं। भारत ने वहां मानवीय आधार पर मदद पहुंचाने के लिए सुरक्षित मार्ग देने की भी मांग की है। साथ ही भारत की तरफ से ज्यादा मदद देने का भी प्रस्ताव रखा है। तिरुमूर्ति ने पुरानी मांग दोहराई कि हालात सुधारने के लिए कूटनीति और बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।
भारतीय दूत ने पूरे घटनाक्रम से दुनिया के दूसरे हिस्सों पर हो रहे असर और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों का भी उल्लेख किया। इससे पहले करीब डेढ़ महीने से भारत ने रूस को घेरने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों की तरफ से लाए गए कई प्रस्तावों पर अनुपस्थित रह कर रूस को परोक्ष तौर पर समर्थन दिया था। जबकि, एक मौके पर भारत ने रूस की तरफ से लाए गए प्रस्ताव में अनुपस्थिति दर्ज कराई थी। भारत शुरू से कहता रहा है कि वह यूक्रेन-रूस मामले में तटस्थ रहने की नीति पर कायम रहेगा। खास बात ये कि बुका पर भारत के बयान से ठीक पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन से बात की थी। दरअसल, अमेरिका की तरफ से भारत पर बहुत दबाव है कि वह रूस को लेकर अपनी नीति बदले। अगले हफ्ते भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों की टू प्लस टू वार्ता भी है।