
नई दिल्ली। नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने रविवार को संसद में आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया। यह देश में एक और गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने की शपथ लेने के ठीक एक सप्ताह बाद हुआ है। सरकार बनाने के लिए 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में कम से कम 138 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। ओली को 188 वोट मिले, जो आवश्यक समर्थन से 50 वोट अधिक है।
सोमवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली
ओली ने सोमवार को चौथी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। ओली के साथ कैबिनेट के 21 अन्य सदस्यों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली। नेपाल के संविधान के अनुसार, ओली को अपनी नियुक्ति के 30 दिनों के भीतर संसद से विश्वास मत हासिल करना आवश्यक था।
Prime Minister KP Sharma Oli received the vote of confidence.
Total Total Votes :- 263
In favour:- 188
Against: 74
Neutral: 1
congratulations pic.twitter.com/ieLBiKpuqR— Khem raj Joshi (@raj_joshi88913) July 21, 2024
देउबा के साथ दो साल में सत्ता हस्तांतरण समझौता
प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने पहली बार नेपाली कांग्रेस के साथ एक गुप्त सात सूत्री समझौते को साझा किया, जिसके तहत वे अपने गठबंधन सहयोगी शेर बहादुर देउबा को सत्ता सौंपने से पहले दो साल तक सरकार का नेतृत्व करेंगे। विश्वास मत हासिल करने के लिए अपना प्रस्ताव पेश करते हुए ओली ने पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली पिछली गठबंधन सरकार को गिराने के लिए नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी-यूनाइटेड मार्क्सवादी-लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) और प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ किए गए समझौते का खुलासा किया।
प्रतिनिधि सभा को संबोधित करते हुए ओली ने कहा, “सात सूत्री समझौते के अनुसार, मैं अगले दो साल तक सरकार का नेतृत्व करूंगा और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा शेष डेढ़ साल तक सरकार का नेतृत्व करेंगे।” अब तक 78 वर्षीय देउबा और 72 वर्षीय ओली के बीच सात सूत्री समझौता गुप्त रहा था, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी के कई नेताओं में संदेह पैदा हो गया था। इससे पहले नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने भी ओली से संसद में समझौते को सार्वजनिक करने की मांग की थी।