
वॉशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए वोट पड़ने शुरू हो गए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग के बाद तय होगा कि मौजूदा उप राष्ट्रपति कमला हैरिस जीतती हैं या उनको पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पटकनी देते हैं। इस चुनाव में सबकी निगाह 7 स्विंग स्टेट यानी राज्यों पर हैं। इन स्विंग स्टेट के इलेक्टोरल कॉलेज के वोट हर बार अलग-अलग प्रत्याशियों के पक्ष में होते हैं। इनमें से दो स्विंग स्टेट पेंसिलवेनिया और मिशिगन बहुत अहम हैं। यहां के वोट अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए कितने जरूरी होते हैं, ये इसी से पता चलता है कि डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस ने प्रचार का अंत भी मिशिगन और पेंसिलवेनिया में किया।
अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोट होते हैं। ये ही नए राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। पेंसिलवेनिया में 19 इलेक्टोरल वोट हैं। राज्य की आबादी 13 मिलियन है। इस तरह हर एक वोट की कीमत बहुत ज्यादा है। साल 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने यहां 82000 वोट से डोनाल्ड ट्रंप को मात दी थी। इस बार ट्रंप और कमला हैरिस ने यहां सबसे ज्यादा प्रचार किया है। दोनों का दावा है कि पेंसिलवेनिया के वोटों पर उनका कब्जा होगा। पेंसिलवेनिया में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान है। मिशिगन की आबादी 10 मिलियन है। यहां 15 इलेक्टोरल वोट हैं। 2016 में ट्रंप यहां जीते थे। जबकि, 2020 में जो बाइडेन ने यहां 1.5 लाख वोट से जीत दर्ज की थी।
अन्य स्विंग स्टेट की बात करें, तो जॉर्जिया और नॉर्थ कैरोलिना में भी 16-16 इलेक्टोरल वोट हैं। वहीं, एरिजोना में 11, विस्कॉन्सिन में 10 इलेक्टोरल वोट हैं। हालांकि, वोटों की ये संख्या अहम है, लेकिन इन राज्यों में आबादी कम होने के कारण वोट की कीमत भी कम है। वहीं, एक और स्विंग स्टेट नेवादा में 6 इलेक्टोरल वोट हैं। अब सबकी नजर इस पर है कि इन 7 स्विंग स्टेट में से किसका कितना इलेक्टोरल कॉलेज कमला हैरिस के पक्ष में वोट देता है और कौन एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति चुनने के पक्ष में रहता है।