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Khalistan: भारत के सख्त रुख से विदेश में खालिस्तानियों के हौसले पस्त!, Video में देखिए क्या हुआ है देशविरोधियों का हाल

लंदन में भारतीय उच्चायोग का झंडा तक खालिस्तानियों ने उतार लिया था। वहीं, बीते दिनों सैन फ्रांसिस्को भारतीय कौंसुलेट पर हमला कर आगजनी तक की थी, लेकिन इसके बाद भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए ब्रिटेन और अमेरिका की सरकार से कार्रवाई के लिए कहा और उसके बाद दोनों सरकारों ने सख्त रवैया अपनाया।

लंदन/वॉशिंगटन। भारत के कड़े रुख का असर विदेश में बसे खालिस्तानियों पर दिख रहा है। खालिस्तानियों ने शनिवार को लंदन और अमेरिका में भारतीय उच्चायोग और दूतावास के बाहर प्रदर्शन करने का एलान किया था। खालिस्तानियों के एलान के बाद ब्रिटेन और अमेरिका की सरकार ने भारतीय उच्चायोग और दूतावास समेत कौंसुलेट की सुरक्षा कड़ी कर दी। वहीं, भारत की तरफ से 21 खालिस्तानी नेताओं को मोस्ट वांटेड घोषित करने का भी असर पड़ा। नतीजे में लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर मुट्ठी भर खालिस्तानी जुटे और कुछ देर नारेबाजी के बाद अपनी संख्या कम देख वहां से लौटने में उन्होंने भलाई समझी।

इससे पहले लंदन और अमेरिका में खालिस्तानी बड़ी तादाद में जुटते थे। लंदन में भारतीय उच्चायोग का झंडा तक खालिस्तानियों ने उतार लिया था। वहीं, बीते दिनों सैन फ्रांसिस्को भारतीय कौंसुलेट पर हमला कर आगजनी तक की थी, लेकिन इसके बाद भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए ब्रिटेन और अमेरिका की सरकार से कार्रवाई के लिए कहा और उसके बाद दोनों सरकारों ने सख्त रवैया अपनाया। नतीजे में अमेरिका में भी भारतीय दूतावास और कौंसुलेट के बाहर खालिस्तानियों का पहले जैसा जमावड़ा नहीं दिखा। वॉशिंगटन में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू खुद दफ्तर आकर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते देखे गए।

बता दें कि बीते कल ही खबर आई थी कि एनआईए ने 21 खालिस्तानी नेताओं को मोस्ट वांटेड की लिस्ट में डाला है। एनआईए की एक टीम अमेरिका भी जाने वाली है। जितने भी खालिस्तानियों ने बीते दिनों में अराजकता की है, उनकी जानकारी भी एनआईए जुटा रही है। एनआईए ने इससे पहले वीडियो जारी कर इन लोगों की पहचान बताने की गुजारिश लोगों से की थी। भारतीय उच्चायोग और दूतावास पर हमले के मामले में एनआईए ने खालिस्तानी तत्वों पर केस भी दर्ज कर रखा है। इस मामले में भारत सरकार सख्त कार्रवाई के मूड में है। जबकि, पहले इस तरह खालिस्तानी जब हंगामा करते थे, तो किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती थी।