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अब चीन ने नेपाल को दिया झटका, लिपुलेख पर शिकायत करना भी नहीं आया काम

अगर नेपाल और चीन के बीच रिश्ते को देखें तो पिछले कुछ सालों में नेपाल में चीन का प्रभाव बढ़ा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब पिछले साल भारत दौरे पर आए थे तो नेपाल भी गए थे।

नई दिल्ली। भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद तब और गहरा गया जब नेपाल ने अपनी नए राजनीतिक नक्शे मंजूरी दी। इस नक्शे में नेपाल ने भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को अपना हिस्सा बताया है। बता दें कि नए नक्शे में नेपाल के उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को दिखाया गया है।

Jinping Nepal president

दरअसल 8 मई को भारत द्वारा लिपुलेख-धाराचूला मार्ग का उद्घाटन किया गया था, जिसके लेकर नेपाल ने आपत्ति जताई थी। नेपाल की तरफ से कहा गया था कि ये एकतरफा फैसला है। इस सीमा विवाद को लेकर नेपाल ने चीन के सामने भी गुहार लगाई थी लेकिन बीजिंग ने इससे किनारा कर लिया है।

Nepal Prime Minister KP Sharma Oli

इस मामले में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, कालापानी का मुद्दा नेपाल और भारत के बीच का मामला है। हम उम्मीद करते हैं कि दोनों देश मित्रतापूर्ण परामर्श के जरिए अपने मतभेदों को सुलझा लेंगे और ऐसी कोई भी एकतरफा कार्रवाई करने से बचेंगे जिससे हालात बिगड़े। हालांकि कुछ दिन पहले ही भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने संकेत दिया था कि मानसरोवर के रास्ते पर लिपुलेख पास पर बन रही सड़क का विरोध नेपाल चीन के समर्थन पर कर रहा है। नेपाल के पीएम केपी ओली ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी कि वह हर फैसला खुद करते हैं।

वैसे देखा जाय तो चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने अपने बयान में जिक्र तो कालापानी का किया लेकिन भारत-नेपाल में ताजा विवाद लिपुलेख को लेकर है। ये लिपुलेख पास कालापानी के नजदीक ही है। भारत पर दबाव बनाने के लिए नेपाल चीन से वार्ता करने की बात कर रहा है लेकिन इस कोशिश में उसे अभी तक मायूसी ही हाथ लगी है। चीन ने अपनी तरफ से साफ कर दिया है कि ये मुद्दा नेपाल और भारत के बीच का मामला है।

Modi Nepal pm Sher bahadur deuba1

नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली मंगलवार को संसद में भी जिक्र किया कि लिपुलेख पास को लेकर चल रहे सीमा विवाद पर चीन के साथ वार्ता चल रही है। ओली ने कहा, हमारे सरकारी प्रतिनिधियों ने चीन के प्रशासन से बात की है। चीनी अधिकारियों ने कहा है कि भारत चीन के बीच समझौता तीर्थयात्रियों के लिए एक पुराने व्यापार मार्ग के विस्तार को लेकर हुआ था और यह किसी भी तरह से देश की सीमाओं या ट्राइजंक्शन की स्थिति को प्रभावित नहीं करेगा

भारत ने चीन के साथ 2015 में उत्तराखंड से लेकर तिब्बत के मानसरोवर तक सड़क बनाने के लिए समझौता किया था। ये सड़क लिपुलेख से भी होकर गुजरती है जिस पर नेपाल अपना दावा करता है। नेपाल ने समझौते का विरोध करते हुए कहा था कि उसकी सहमति के बिना लिपुलेख में सड़क बनाना स्वीकार्य नहीं है।

KP Sharma oli and Narendra Modi

वहीं अगर नेपाल और चीन के बीच रिश्ते को देखें तो पिछले कुछ सालों में नेपाल में चीन का प्रभाव बढ़ा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब पिछले साल भारत दौरे पर आए थे तो नेपाल भी गए थे। यह बीते 23 सालों में नेपाल में किसी चीनी राष्ट्रपति का पहला दौरा था। नेपाल दौरे में जिनपिंग ने 20 समझौते और 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद देने का भी ऐलान किया था।