नई दिल्ली। भारत से सीमा विवाद के बीच अब नेपाल ने नया राग अलापा है। नेपाल ने अपना रुख बदलते हुए कहा है कि उसने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने इस पर समय से प्रतिक्रिया नहीं दी। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता को दौरान ये बातें कहीं।
नेपाली विदेश मंत्री ने कहा, ‘जब भारत ने नवंबर 2019 में अपने राजनीतिक नक्शे का आठवां संस्करण प्रकाशित किया था, तो इसमें नेपाल के क्षेत्र में आने वाले कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा भी शामिल थे। नेपाल ने राजनीतिक बयानों और राजनियक माध्यमों के सहारे इसका विरोध किया था।’
We, time and again asked our Indian friends to formally start the diplomatic negotiation to settle these problems. We proposed the possible dates as well but our proposal was not responded timely: Nepal Foreign Affairs Minister Pradeep Gyawali https://t.co/kTxkBDtbH0
— ANI (@ANI) July 31, 2020
उन्होंने कहा, हमने कई बार अपने भारतीय मित्रों से औपचारिक रूप से सीमा से संबंधित इन समस्याओं को सुलझाने के लिए कूटनीतिक बातचीत शुरू करने के लिए कहा। हमने इसके लिए संभावित तारीखों का भी सुझाव दिया लेकिन भारत की ओर से हमारे प्रस्ताव पर समय से जवाब नहीं दिया गया।
गोरखा भर्ती को प्रदीप ज्ञावली ने बीते जमाने की विरासत बताते हुए कहा कि यह नेपाली युवाओं के लिए विदेश जाने के लिए खुला पहला दरवाजा था। बीते समय में इसने रोजगार के कई अवसर उत्पन्न किए, लेकिन बदली परिस्थितियों में कई प्रावधानों पर सवाल उठ रहे हैं। 1947 का त्रिपक्षीय समझौता निरर्थक हो गया है।