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भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच नेपाली संसद ने विवादित नक्शे को दी मंजूरी

नेपाल के दावे पर भारत की तरफ से कहा गया था कि, क्षेत्र पर ‘कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर दावा करने’ को वह स्वीकार नहीं करेगा और उसने पड़ोसी देश से कहा कि वह इस तरह के ‘अनुचित मैप दावे’ से बचे।

नई दिल्ली। नेपाल के विवादित नक्शे को लेकर नेपाल की निचली संसद प्रतिनिधि सभा में पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है। इस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है, हालांकि इसको लेकर नेपाल और भारत के बीच गतिरोध बना हुआ है।

Nepal Map

नेपाल के नक्शे में बदलाव के लिए कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया था। यह संविधान संशोधन विधेयक अब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। उनके हस्ताक्षर के बाद यह नया नक्शा कानून की शक्ल ले लेगा। नेपाली संसद में मंगलवार देर शाम तक नक्शे को लेकर चर्चा हुई। वहीं, नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने भारत से फिर बातचीत का अनुरोध किया है।

Nepal Parliament

वहीं भारत और नेपाल के बीच गतिरोध की बात करें तो भारत के लिपुलेख में मानसरोवर लिंक बनाने को लेकर नेपाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उसका दावा है कि लिपुलेख, कालापानी और लिपिंयाधुरा उसके क्षेत्र में आते हैं। नेपाल ने इसके जवाब में अपना नया नक्शा जारी कर दिया जिसमें ये तीनों क्षेत्र उसके अंतर्गत दिखाए गए। इस नक्शे को जब देश की संसद में पारित कराने के लिए संविधान में संशोधन की बात आई तो सभी पार्टियां एक साथ नजर आईं। इस दौरान पीएम केपी शर्मा ओली ने भारत को लेकर सख्त रवैया अपनाए रखा।

दरअसल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जब लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते का उद्घाटन किया, तभी नेपाल ने इसका विरोध किया था। उसके बाद 18 मई को नेपाल ने नए नक्‍शा जारी कर दिया। भारत ने साफ कहा था कि ‘नेपाल को भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए। नेपाल के नेतृत्व को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिससे बैठकर बात हो सके।’

Rajnath Singh

नेपाल के दावे पर भारत की तरफ से कहा गया था कि, क्षेत्र पर ‘कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर दावा करने’ को वह स्वीकार नहीं करेगा और उसने पड़ोसी देश से कहा कि वह इस तरह के ‘अनुचित मैप दावे’ से बचे। दोनों देशों के बीच संबंध तब तनावपूर्ण हो गए थे जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे मार्ग का आठ मई को उद्घाटन किया था।