
बीजिंग। भारत के खिलाफ चीन लगातार नई चाल चलता रहता है। अब उसने ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने का काम तेज कर दिया है। ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन तिब्बत के मेडोग काउंटी में बांध बना रहा है। ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाला ये दुनिया का सबसे बड़ा बांध होगा। ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले बांध से चीन 70 गीगावाट बिजली पैदा करेगा। इस बांध के जरिए चीन जब चाहे भारत को परेशान कर सकने में भी सक्षम हो जाएगा। ब्रह्मपुत्र नदी पर बन रहे चीन के बांध से भारत के पूर्वोत्तर में बड़ी परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है।
चीन में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग सांगपो के नाम से जाना जाता है। तिब्बत से निकलकर ब्रह्मपुत्र नदी भारत में अरुणाचल और असम से बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है। जहां ब्रह्मपुत्र और गंगा मिलती हैं। ब्रह्मपुत्र को बांग्लादेश में पद्मा नदी कहा जाता है। ये बांग्लादेश के मध्य से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है। चीन की तरफ से ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाने से भारत के पूर्वोत्तर में पारिस्थितिकीय संतुलन भी बिगड़ने के आसार हैं। चीन अगर बांध के जरिए ब्रह्मपुत्र का पानी रोक ले, तो असम जैसे राज्यों में सूखा पड़ने की आशंका होगी। वहीं, बारिश के मौसम में चीन के बांध से ब्रह्मपुत्र में ज्यादा पानी छोड़े जाने से पूर्वोत्तर में प्रचंड बाढ़ आने के आसार बनेंगे।
कुल मिलाकर चीन के ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने से उसे भारत के खिलाफ पानी को हथियार की तरह इस्तेमाल करने का मौका मिल जाएगा। चीन के इस बांध से ब्रह्मपुत्र नदी की मिट्टी भी कम उपजाऊ होने की आशंका है। इससे असम और अरुणाचल प्रदेश में खेती पर भी असर पड़ सकता है। भारत ने चीन के इस बांध पर चिंता जताई थी। बांग्लादेश भी ब्रह्मपुत्र पर बन रहे चीन के बांध पर चिंता जता चुका है, लेकिन चीन का कहना है कि भारत और बांग्लादेश की चिंता का कोई कारण नहीं है। भारत और चीन के बीच ब्रह्मपुत्र नदी के मामले में पुराना समझौता तो है, लेकिन चीन कभी भी समझौतों का पालन नहीं करता।