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China-Pakistan New Move Regarding CPEC Project : चीन और पाकिस्तान की नई चाल, सीपीईसी प्रोजेक्ट का अफगानिस्तान तक होगा विस्तार, तालिबान सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता

China-Pakistan New Move Regarding CPEC Project : भारत से हार के बाद पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया हुआ है। यही कारण है कि भारत के खिलाफ हर तरह के हथकंडे अपना रहा है। भारत शुरू से ही सीपीईसी प्रोजेक्ट के खिलाफ है। दरअसल इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है, जिस पर भारत को आपत्ति है। भारत का कहना है कि यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है।

नई दिल्ली। भारत से हार के बाद पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया हुआ है। यही कारण है कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान हर तरह के हथकंडे अपना रहा है। पाकिस्तान ने अब चीन के साथ मिलकर एक नई चाल चली है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को अफगानिस्तान के काबुल तक बढ़ाने जाने का फैसला लिया गया है। इसके लिए चीन और पाकिस्तान का अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता हुआ है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने बीजिंग पहुंचकर चीन के विदेश मंत्री वांग यी और तालिबानी सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की और तीनों ने मिलकर समझौते को अंतिम रूप दिया।

भारत शुरू से ही सीपीईसी प्रोजेक्ट के खिलाफ है। दरअसल इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है, जिस पर भारत को आपत्ति है। भारत का कहना है कि यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है। भारत के विदेश मंत्री ने पिछले साल कहा था कि सीपीईसी प्रोजेक्ट में जो देश शामिल होंगे वो जम्मू-कश्मीर में भारत के भू-भाग का उल्लंघन करेंगे। चीन का झुकाव हमेशा से ही पाकिस्तान की ओर रहा है। पाकिस्तान भी चीन के दम पर भारत विरोधी बयानबाजी करता रहता है। हाल ही में भारत के विदेश मंत्री के साथ अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की बातचीत भी हुई थी।

भारत और अफगान सरकार के बीच सुधरते रिश्तों से चीन और पाकिस्तान दोनों ही चिंतित हैं। चीन और पाकिस्तान को यह डर है कि कहीं अफगानिस्तान भारत के साथ ना हो जाए इसीलिए उसके साथ मिलकर इन्होंने इस प्रोजेक्ट को काबुल तक ले जाने का फैसला किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ईशाक डार ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर दोनों देशों के समकक्षों के साथ फोटो शेयर करते हुए लिखा, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए एक साथ खड़े हैं।