
इस्लामाबाद। पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर खड़ा है, देशभर में सरकार के विरोध में लोगों के अंदर गुस्सा भरा है। लोग सड़कों पर उतर कर आटा चीनी, दूध के बढ़ते दामों को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। इस बीच डिफॉल्टर होने के खतरे से जूझ रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब और यूएई ने बड़ी मदद दी है। राहत की आस लेकर संयुक्त अरब अमीरात पहुंच पीएम शहबाज शरीफ को 3 अरब डॉलर की मदद का भरोसा दिया। यूएई सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान को अगले दो महीनों में 2 अरब डॉलर का कर्ज जारी किया जाएगा। इसके अलावा 1 अरब डॉलर की मदद से अलग से दी जाएगी। यही नहीं सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की तेल सप्लाई करने का भरोसा दिया है, जिसकी फिलहाल अदायगी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
आपको बता दें कि पाकिस्तान को उम्मीद है कि इस मदद के जरिए वह कर्ज की किस्तें चुका सकेगा और ईंधन के संकट से भी उबर सकेगा। पाकिस्तान की हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार गुरुवार को 4.34 अरब डॉलर पर ही सिमट गया था। यह आंकड़ा फरवरी 2014 के बाद सबसे कम है। इसके जरिए पाकिस्तान महज एक महीने के ही आयात का बिल चुका सकता है। इसके अलावा चीन समेत कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से उसने 26 अरब डॉलर तक के लोन ले रखे हैं, जिनकी अदायगी करने की भी चुनौती है। इन कर्जों की किस्तें न चुकाने पर पाकिस्तान के सामने डिफॉल्टर होने का खतरा भी है। अब यूएई और सऊदी ने उसकी गुहार पर जो फैसला लिया है, उससे जरूर पाकिस्तान को तत्काल कुछ रिलीफ मिलने की संभावना है।
पकिस्तान की मदद को हाथ आगे बढाते हुए UAE ने 2 अरब डॉलर के कर्ज को दो किस्तों में देने का फैसला लिया है। पहली किस्त फरवरी में जारी की जाएगी, जबकि दूसरी किस्त मार्च में ट्रांसफर होगी। पाकिस्तान के सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस मदद से उसे कुछ वक्त मिल गया है। अब पाकिस्तान की ओर से आईएमएफ से कर्ज की गुहार लगाई जाएगी, जहां लंबे समय से आवेदन किया गया है, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। सऊदी अरब से पाक को है और उम्मीद, जरूरी चीजों का भी संकट पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते आयात को भी रोकना पड़ा था। इससे पेट्रोल, डीजल, गेहूं समेत कई जरूरी चीजों की भी पाकिस्तान में किल्लत देखी गई है। यहां तक कि कच्चे माल की कमी के चलते उद्योगों को भी बंद करना पड़ा है और लोग बेरोजगार होकर घर बैठे हैं। ऐसे में विश्वभर से पाकिस्तानी लोग सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।