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Pakistan: पाकिस्तानी मंत्री ने खुद खोली पोल, बताया हम बर्बाद हो चुके हैं, लोगों से की चाय भी न पीने की अपील

Pakistan: अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की दशा कितनी दयनीय हो चुकी है कि वहां के नेता खुद अपने लोगों को चाय पीने तक के लिए मना कर रहे हैं। अब जरा इन पाकिस्तानी रहनुमाओं से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि इनके पास आतंकवादियों को वित्तपोषित करने, भारत के खिलाफ एजेंडे को धार देने के लिए तो पैसों का भरमार रहता है, लेकिन जब बात आम लोगों के जरूरतों के पूरा करने की आती है, तो आर्थिक बदहाली का रोना रोने लगते हैं।

नई दिल्ली। यह विचारणीय प्रश्न प्रतीत नहीं होता है कि आखिर क्यों आजादी के सात दशकों के उपरांत जहां भारत ने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं, तो वहीं क्यों पाकिस्तान की बदहाली हर गुजरते वक्त के साथ अपने चरम पर पहुंचती गई है। वजह बिल्कुल साफ है कि जहां भारतीय राजनेता विकास केंद्रीत, जनकल्याणकारी, निर्धन मुक्त देश, आतंकवाद विमुक्त, शिक्षा व स्वास्थ्य उन्नयन राजनीति के प्रति कटिबद्ध रहे, तो वहीं इसके विपरीत पाकिस्तान के रहनुमाओं के लिए हमेशा से ही उपरोक्त विषय गौण रहे हैं। उसके लिए अगर कुछ प्राथमिक रहा तो वो था आतंकवाद को बढ़ावा देना, आतंकवाद को वित्त पोषित करना, अपने पड़ोसी भारत के विरुद्ध व्यूह रचना करना, जिसका ही परिणाम है कि आज पाकिस्तान अपनी बदहाली की हदों को पार कर चुका है और आज उसकी हालत ऐसी हो चुकी है कि उसे दूसरे देशों से मदद की गुहार लगानी पड़ रही है।

आज की तिथि में उसकी आर्थिक दशा इतनी दयनीय हो चुकी है कि उसे अपने नागरिकों से एक प्याली चाय कम पीने की गुजारिश करनी पड़ रही है। जरा सोचिए यह जितना दुर्भाग्यपूर्ण है, उतना ही हास्यास्पद है कि पाकिस्तान के सियासी नुमाइंदे खुद सार्वजनिक मंचों से अपनी आवाम से गुहार लगा रहे हैं कि वे अपने मुल्क की आर्थिक दशा को दुरूस्त करने की दिशा में एक चाय की प्याली कम कर दें। बता दें कि अभी एक वीडियो प्रकाश में आया है, जिसमें पाकिस्तानी मंत्री अहसान इकबाल खुद अपनी आवाम से देश की आर्थिक स्थिति को दुरूस्त करने हेतु एक प्याली चाय कम पीने की गुजारिश कर रहे हैं। जरा देखिए ये वीडियो।


अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की दशा कितनी दयनीय हो चुकी है कि वहां के नेता खुद अपने लोगों को चाय पीने तक के लिए मना कर रहे हैं। अब जरा इन पाकिस्तानी रहनुमाओं से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि इनके पास आतंकवादियों को वित्तपोषित करने, भारत के खिलाफ एजेंडे को धार देने के लिए तो पैसों का भरमार रहता है, लेकिन जब बात आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने की आती है, तो अपनी आर्थिक बदहाली का रोना रोने लगते हैं। लिहाजा अपनी माली हालत से अब पाकिस्तानी रहनमाओं को सबक लेने की जरूरत है, नहीं तो आगामी दिनों में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। विदित है कि बीते दिनों पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली की वजह से इमरान खान को सत्ता से बेदखल कर शहबाज शरीफ की ताजपोशी की गई थी, लेकिन शहबाज की एंट्री के बाद भी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में किसी भी प्रकार का सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।