नई दिल्ली। दो जून की रोटी के लिए मुहाल पाकिस्तानी हाई कमीशन द्वारा दिल्ली में चलाए जा रहे स्कूल को आर्थिक बदहाली की वजह से बंद कर दिया गया। आर्थिक बदहाली का आलम कुछ ऐसा था कि पिछले एक साल से शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए स्कूल के पास एक फूटी कौड़ी तक नहीं थी। हालांकि, अप्रैल माह में ही पाकिस्तानी कमीशन द्वारा जारी किए गए अधिसूचना में स्पष्ट कर दिया गया था कि अब स्कूल बंद कर दिया जाएगा। वहीं, आज से एक साल पहले स्कूल को चलाने का भरसक प्रयास किया गया। पहले यह योजना बनाई गई कि कम वेतन और कम खर्चों में स्कूल को चलाया जाएगा, लेकिन अफसोस ऐसा हो नहीं सका। अब जब पिछले एक साल तक शिक्षकों और अन्य गैर-शैक्षिक कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया, तो उनके धैर्य का बांध टूट गया और अंत में यह फैसला किया गया कि इस स्कूल को बंद कर दिया जाए।
हालांकि, अब यह पाकिस्तान के लिए कोई नई स्थिति नहीं रह गई। आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहे पाकिस्तान ने विभिन्न देशों में अपने दूतावासों और हाई कमीशन को निर्धारित खर्चों में कटौती करने का फरमान भी जारी कर दिया है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तानी कमीशन ने अपने दिल्ली स्थित स्कूल को बंद करने के पीछे की वजह आर्थिक बदहाली नहीं, बल्कि छात्रों का कम दाखिला बताया है। स्कूल की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि पिछले एक वर्ष से बहुत ही कम छात्र दाखिला ले रहे हैं, लिहाजा छात्रों के कम दाखिले को ध्यान में रखते हुए इसे बंद करने का फरमान जारी किया गया है, लेकिन स्कूल के ही आंतरिक सूत्रों का कहना है कि आर्थिक बदहाली को ध्यान में रखते हुए इसे बंद कर दिया गया है। बता दें कि स्कूल में कुल 7 कर्मचारी ही काम करते थे।
पहले स्कूल में कर्मचारियों की संख्या ज्यादा थी, लेकिन आर्थिक बदहाली की वजह से दिनों-दिन इनकी संख्या कम होती चली गई। वहीं, पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली का दौर जारी है। इतना ही नहीं ,पाकिस्तान कई देशों के आगे मदद का हाथ बढ़ा चुका है ,लेकिन उसके आतंकी परस्ती रूख कों ध्यान में रखते हुए कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है, जिसे ध्यान में रखते हुए उसकी बदहाली अपने चरम पर पहुंच चुकी है। अब ऐसी सूरत में आगामी दिनों में पाकिस्तान अपनी आर्थिक बदहाली से पार पाने के लिए क्या कुछ कदम उठाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।