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Sindh Minorities : पाकिस्तान के नेता ने UNHRC में ISI और शाहबाज़ सरकार की खोली पोल, बताया कैसे सिंध में हिंदुओं को दबाया जा रहा

Sindh Minorities :संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक के दौरान पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के ऊपर होते अत्याचार के बारे में बातचीत करते हुए सज्जाद शर ने तमाम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कैसे अपने अल्पसंख्यकों को सिंध प्रांत में इस्तेमाल करता है और उनके अधिकारों को लेकर कोई खास ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार सिंध के आर्थिक संसाधनों, खनिजों और राष्ट्रीय संपदा को लूट रहा है।

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार की घटनाएं बीते कई वर्षों के दौरान आम हो गई हैं। पाकिस्तान के हिंदू और सिख जुल्म का शिकार होते रहे हैं और पाकिस्तान सरकार इसको लेकर ज्यादातर मामलों में खामोश रहती है। बता दें कि ऐसे ही एक मामले में पाकिस्तान की शाहबाज़ सरकार की कारस्तानी का एक बार फिर पर्दाफाश हो गया है। UNHRC के 52वें समिट के दौरान एक सिंधी कार्यकर्ता ने आईएसआई पर जमकर निशाना साधा। उस कार्यकर्ता ने आईएसआई पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस कार्यकर्ता ने सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया और कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने पिछले 75 सालों से सिंध का केवल एक उपनिवेश के तौर पर इस्तेमाल किया है। पाकिस्तान सरकार ने आर्थिक शोषण किया है और सिंध के साथ गुलामों जैसा बर्ताव किया जाता रहा है।

आपको बता दें कि संयुक्त राज्य मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में जेई सिंध मुत्तहिदा महाज जेएसएमएम नाम के संगठन के कार्यकर्ता सज्जाद शर ने कहा कि पाकिस्तान 75 सालों से सिंध का एक उपनिवेश के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। वह सिंध के लोगों को उनकी मातृभूमि, संस्कृति, भाषा और राजनीतिक स्वतंत्रता को छीनने का काम कर रहा है।

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक के दौरान पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के ऊपर होते अत्याचार के बारे में बातचीत करते हुए सज्जाद शर ने तमाम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कैसे अपने अल्पसंख्यकों को सिंध प्रांत में इस्तेमाल करता है और उनके अधिकारों को लेकर कोई खास ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार सिंध के आर्थिक संसाधनों, खनिजों और राष्ट्रीय संपदा को लूट रहा है। आईएसआई सिंध के पत्रकारों, लेखकों, कवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गायब कर रही है और उनकी आवाज को दबा रही है। उन्होंने कहा कि मेरा संगठन संयुक्त राष्ट्र निकायों का ध्यान मानवाधिकारों और राष्ट्रीय अस्तित्व के मुद्दे की ओर दिलाना चाहता है, जिन पर तुरंत ध्यान केंद्रित किए जाने की बेहद आवश्यकता है।

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