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Pakistan Gold And Copper Mines: चंद डॉलर पाने के लिए पाकिस्तान ने अब सऊदी अरब के सामने रखा कटोरा, सोना और तांबा की खदानें बेचने जा रहा; आम लोग भड़के

Pakistan Gold And Copper Mines: पाकिस्तान की माली हालत खराब है। कई बार आईएमएफ से कर्ज ले चुका है। वहां रोजमर्रा की जरूरत वाली चीजें जनता को महंगी कीमत पर मिल रही हैं। अब सऊदी अरब को पाकिस्तान सोना और तांबा की खदानें बेचकर कुछ धन हासिल करने वाला है।

सऊदी प्रिंस सलमान के साथ पाक के पीएम शहबाज शरीफ।

इस्लामाबाद। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पाकिस्तान ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ के सामने कटोरा रखा। कर्ज लेकर काम चलाया, लेकिन आईएमएफ से कर्ज मिलना आसान नहीं। उस पर तमाम शर्तें भी माननी पड़ती हैं। आईएमएफ की कई शर्तों की वजह से पाकिस्तान की सरकार को ऐसे फैसले लेने पड़े कि उसका बोझ जनता पर पड़ा है। जरूरत की चीजों की कीमत आसमान छू रही है। आटा लेने के लिए कतारें लगानी पड़ती हैं। अब पाकिस्तान ने ऐसे में अपनी माली हालत सुधारने और कुछ रकम पाने के लिए एक बार फिर अपने पुराने दोस्त सऊदी अरब की मदद लेने का फैसला किया है।

जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान की सरकार अब बलूचिस्तान प्रांत के सोने और तांबे की खदानों को सऊदी अरब को बेचने जा रहा है। सऊदी अरब बैरिक गोल्ड कॉर्पोरेशन रेको डिक की इन खदानों की हिस्सेदारी लेने जा रहा है। पाकिस्तान में सोना और तांबा की खदानों में सऊदी अरब 1 अरब डॉलर का निवेश करेगा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान और सऊदी अरब में सोना और तांबा की खदानों की हिस्सेदारी का समझौता फाइनल हो चुका है और अगले कुछ हफ्ते में इसका एलान होगा। पाकिस्तान में जबसे आम लोगों को इस खबर की जानकारी हुई है, तभी से उनका पारा चढ़ा हुआ है। पाकिस्तान के यूट्यूबर शोएब चौधरी का वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें पाकिस्तान के लोग अपनी सरकार को कोसते दिख रहे हैं।

पाकिस्तान जब 1947 में आजाद हुआ था, तो वहां के हुक्मरानों ने दावा किया था कि वो मुल्क को खुशहाल बनाएंगे। हुआ इसका उल्टा। पाकिस्तान लगातार भारत से युद्धों में उलझा रहा। आतंकवाद फैलाने को वो अपना अहम काम समझने लगा। नतीजे में पाकिस्तान का खजाना लगातार खाली होता गया और अब अपनी खदानों को सऊदी अरब के हाथ बेचने का रास्ता उसे चुनना पड़ा है। पाकिस्तान को पहले चीन, सऊदी अरब और यूएई ने खूब पैसा दिया, लेकिन बाद में उन्होंने भी हाथ खींच लिए। इसकी वजह से पाकिस्तान पाई-पाई को मोहताज हो गया। अब देखना ये है कि खदानों को बेचने से जो पैसा पाकिस्तान को मिलने वाला है, उससे वो कितने दिन काम चला सकता है।